➡🔝™®©📝छत्तीसगढ़ राज्य में ‘अक्ति’ के नाम से मनाया जाने वाला यह पर्व खेतों में खरीफ फसलों के लिए बीजारोपण का संदेश लेकर आता है। प्रचलित परंपरा के अनुसार इस दिन मिट्टी के गुड्डा-गुड़िया के विवाह की रस्म भी निभाई जाती है। अक्षय तृतीया पर्व को शादी-ब्याह के कार्यक्रमों के लिए एक
पवित्र और शुभ दिन माना जाता है⬅🔚🔚
जानिए क्यों है अक्षय तृतीया का विशेष महत्व |
* भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन सतयुग एवं त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था।
* भगवान विष्णु के 24 अवतारों में भगवान परशुराम, नर-नारायण एवं हयग्रीव आदि तीन अवतार अक्षय तृतीया के दिन ही धरा पर आए।
* तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के पट भी अक्षय तृतीया को खुलते हैं।
* वृंदावन के बांके बिहारी के चरण दर्शन केवल अक्षय तृतीया को होते हैं।
* वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त है, उसमें प्रमुख स्थान अक्षय तृतीया का है। यह हैं- चैत्र शुक्ल गुड़ी पड़वा, वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया, आश्विन शुक्ल विजयादशमी तथा दीपावली की पड़वा का आधा दिन। इसीलिए इन्हें वर्ष भर के साढ़े तीन मुहूर्त भी कहा जाता है..