[aps] आखिर सात साल की इस मासूम बच्ची का कसुर क्या है कि उसे 45-46 डिग्री पारे और झुलसा देने वाली सूरज की तपिश में खुले आसमान के नीचे पुढ्ठे के कारटून का बिछौना बना कर सो रही है और मख्खियाँ उसके चेहरे पर भिनभिना रही है [/aps] रायगढ़ – दरअसल इस बच्ची की माँ उसे पिता के पास छोडक़र अपने मायके चली गई है, पिता दिलराम महंत कई बार उसे वापस लाने की कोशिश कर चुका है पर माँ को सात साल की इस बच्ची की भी कोई चिंता नहीं है।
इसका पिता यही पास चल रहे काम में कूली का काम कर रहा है. पिता और बेटी का शहर में अपना कोई घर नहीं है इसलिये दोनों सडक़ पर ही खाते है सडक़ पर ही सोते हंै और सडक़ पर ही रहते हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार ने स्त्री-पुरूष श्रमिको और उनके बच्चों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएँ बनाई है। लेकिन उन योजनाओं पर अमल करने वाले सरकार के अधिकारी ही उसे ठेंगा दिखा रहे हैं। मिसाल के तौर पर श्रमिकों बच्चों के लिए चलित झूला घर योजना भी है जिसका लाभ ऐसे बच्चो को मिल सकता है, लेकिन रायगढ़ जिले में यह योजना श्रम विभाग के फाइलों में दबी पड़ी है।
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