कार्यपालन अभियंता को निर्माण पर निगरानी रखने व साप्ताहिक रिपोर्ट देने के निर्देश
रायगढ़, 7 अगस्त 2015/ कलेक्टर श्रीमती अलरमेल मंगई डी ने आज यहां कलेक्टोरेट सभाकक्ष में मेडिकल कालेज, स्वास्थ्य, राजस्व, लोक निर्माण, नगर निगम, विद्युत मंडल के अधिकारियों सहित रामकी एवं श्रीजी कृपा कंस्ट्रक्शन कंपनी के पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक लेकर मेडिकल कालेज के अधोसंरचना निर्माण के अंतर्गत निर्माणाधीन कालेज भवन, हास्पिटल, छात्रावास आदि की स्थिति की गहन समीक्षा की। कलेक्टर श्रीमती मंगई डी ने दोनों कंस्ट्रक्शन कंपनियों के पदाधिकारियों को निर्माणाधीन कार्यों को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता को निर्माण कार्यों की नियमित रूप से मॉनिटरिंग करने के साथ ही साप्ताहिक प्रगति प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए। बैठक में मेडिकल कालेज के डीन डॉ. एस.एल.आदिले, एसडीएम के.एस.मण्डावी, सीएमएचओ डॉ.उरांव, सीएस डॉ.वाय.के.शिन्दे, कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण व्ही.डी.बोपचे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में मेडिकल कालेज के लिए अतिरिक्त भूमि के आबंटन के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई। कलेक्टर ने मेडिकल कालेज के मेन गेट के सामने की एक एकड़ भूमि निजी भूमि स्वामी से मेडिकल कालेज को उपलब्ध कराए जाने तथा गोकुल नगर के लिए आबंटित भूमि को भी भविष्य की आवश्यकता को देखते हुए मेडिकल कालेज को हस्तांतरित करने की कार्रवाई की बात कही। बैठक में मेडिकल कालेज के डीन डॉ.आदिले ने पॉवर पाईन्ट प्रजेन्टेशन के माध्यम से मेडिकल कालेज के सामने की भूमि एवं उसके भूमि स्वामी तथा इस भूमि की मेडिकल कालेज के लिए उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बैठक में जानकारी दी गई कि मेडिकल कालेज भवन एवं हास्पिटल भवन में विलंब को देखते हुए रामकी कंस्ट्रक्शन को नोटिस जारी करने के बाद उसका अनुबंध समाप्त कर दिया गया था। उच्च स्तरीय बैठक जो 7 जून को रायपुर में हुई थी वहां अनुबंध को पुर्नजीवित करते हुए रामकी कंस्ट्रक्शन को हास्पिटल बिल्डिंग के फ्रन्ट विंग को 30 नवंबर तक पूरा करने का समय दिया गया है। इस विंग के पूरा हो जाने से मेडिकल कालेज में ओपीडी सहित 7 डिपार्टमेंट शुरू किए जा सकेंगे। सेकेन्ड विंग तैयार होने से मेडिकल कालेज में इंडोर मरीजों की भर्ती हो सकेगी।
बैठक में जानकारी दी गई कि गल्र्स छात्रावास का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। फिनिशिंग का कार्य जारी है। कलेक्टर ने गल्र्स हास्टल को 15 अगस्त तक पूरा कराकर मेडिकल कालेज को हस्तांतरित करने के निर्देश कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिए। कलेक्टर ने बैठक में मेडिकल कालेज, लोक निर्माण तथा कंस्ट्रक्शन कंपनी के पदाधिकारियों को मेडिकल कालेज के कम्पलीट किए जाने की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कार्ययोजना में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए कि मेडिकल कालेज का विंग कब-कब तैयार होगा और वहां क्या-क्या सुविधाएं होगी। डीन श्री आदिले ने बताया कि मेडिकल कालेज के हास्पिटल में कुल तीन विंग का निर्माण किया जाना है। प्रथम विंग में ओपीडी और 7 डिपार्टमेन्ट, द्वितीय विंग में सर्विस सेक्टर के अंतर्गत पैथालॉजी एक्स-रे तथा तृतीय विंग में सर्विस जोन के अंतर्गत किचन केन्टीन तथा ऊपरी हिस्से में ओटी का प्रावधान किया गया है।
कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को मेडिकल कालेज के समस्त निर्माण कार्य को तेजी से संचालित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसकी समीक्षा अब प्रत्येक माह होगी। कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण द्वारा समय-सीमा की बैठक में इसकी साप्ताहिक रिपोर्ट देंगे। बैठक में यह जानकारी दी गई कि मेडिकल कालेज के लिए पृथक से सब स्टेशन के निर्माण के लिए 9.50 करोड़ का ई-टेण्डर जारी कर दिया गया है। आगामी 4 माह में इसका निर्माण पूरा करा लिया जाएगा। मेडिकल कालेज में विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से जारी रखने 200 के.व्ही. के एक अतिरिक्त ट्रांसफ ार्मर लगाए जाने के भी निर्देश दिए गए। एमसीआई की टीम के आगामी भ्रमण को देखते हुए जिला चिकित्सालय में आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश कलेक्टर ने दिए।
लिखित रिपोर्ट से ही निजी नर्सिंग होम को मिलेगा ब्लड- बैठक में मेडिकल कालेज के डीन ने ब्लड बैंक से सीधे मरीजों एवं उनके परिजनों को ब्लड उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था को तकनीकी दृष्टि से खामिपूर्ण बताते हुए कहा कि ऐसा करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि निजी नर्सिंग होम में भर्ती मरीजों के लिए यदि ब्लड की जरूरत है तो वहां के अधिकृत चिकित्सक द्वारा लिखित में इसकी मांग मेडिकल कालेज के डीन से की जानी चाहिए। मेडिकल कालेज द्वारा सीधे मरीज अथवा परिजन को ब्लड न देकर संबंधित नर्सिंग होम को दिए जाने का नियम है। इसका उल्लंघन होने पर भविष्य में परेशानी आ सकती है। इस संबंध में बैठक में यह निर्णय लिया गया कि निजी नर्सिंग होम के अधिकृत चिकित्सक की लिखित डिमांड के आधार पर ही ब्लड उपलब्ध कराया जाए। डॉ. आदिले ने यह भी बताया कि इमरजेन्सी के तमाम केस मेडिकल कालेज में आते है। निजी नर्सिंग होम में भर्ती मरीज के ऑपरेशन की पहले प्लानिंग की जाती है उसके बाद ऑपरेशन होता है। वहां इमरजेन्सी में ब्लड की आवश्यकता रेयर स्थिति में पड़ती है।