दुर्ग, 07 फरवरी 2015
जिले में न जाने ऐसे कितने बच्चे हैं जिनका बचपन अंधकार से शुरू होता है। शारीरिक विकलांगता के चलते जिंदगी शुरू होने के पहले ही वे हार मान लेते हैं, इनके माता-पिता भी उपचार कराकर थक जाते हैं। ऐसे बच्चों की जिंदगी में नई रोशनी लाने की पहल सर्वशिक्षा अभियान के तहत की जा रही है, जो बेहद कारगर है। बतौर उदाहरण पाटन ब्लाक के गातापार गांव का लुकेश कुमार है जो पहले घुटने के बल चलता था, समावेशी शिक्षा ने उसे पैरों पर खड़ा कर दिया।
सर्वशिक्षा अभियान के तहत समावेशी शिक्षा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को दी जाती हैं। ये वे बच्चे होते है जो विभन्न बाधिता से ग्रसित होते हैं। ऐसे बच्चों को शिक्षा का मूल धारा से जोड़कर उनके उपचार की व्यवस्था व जरूरी उपकरण मुहैया कराए जाते हैं। सारा खर्च सर्व शिक्षा अभियान के तहत वहन किया जाता है। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को चिन्हित कर पहले उसे गृह आधारित शिक्षा दी जाती है। कार्य कुशलता में वृद्धि के लिए जरूरी कार्य कराए जाते हैं। क्षमता विकास में गतिविधि के लिए बच्चों के पालकों को टिप्स बताए जाते हैं। घुमाने के बहाने बच्चों को स्कूल तक जाने की कोशिश भी की जाती है। शिक्षकों व सहपाठियों के साथ मेल-जोल से ऐसे बच्चों की प्रतिभा में निखार आने लगता है। इस तरह जिंदगी की नई पारी की शुरूवात होती है। समावेशी शिक्षा के तहत विशेष आवश्कता वाले करीब 17 बच्चों को सात फरवरी को रायपुर ले जाएंगे। वहां ये बच्चे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से भेंट करेंगे, इनमें दुर्ग ब्लाक के आठ, पाटन के छः तथा धमधा ब्लाक के तीन बच्चे शामिल है।