राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) के प्रदेश प्रतिनिधि गनपत चौहान ने कहा कि, सरकारी हो या गैर सरकारी कम्पनी कलकारखाना, संयंत्र हो, आउटसोर्सिंग में कठोर परिश्रम करने वाले मजदूर हो या किसी भी निजी संस्थान या प्रतिष्ठान में यदि वह व्यक्ति पांच- सात वर्षों से निरंतर कार्यरत हैे तब वह नियमित कामगार की श्रेणी में है इस भीषण महंगाई में जिनका न्यूनतम पारिश्रमिक पन्द्रह हजार (15000) रू. होनी चाहिए तभी वह कामगार अपने परिवार को भरण पोषण कर सकने में सक्षम हो सकता है अन्यथा अभाओं से जूझते रहना उसकी सदैव के लिए नियति बन कर रह जायेगी इसलिए मोदी सरकार को मिनिमम वेज पन्द्रह हजार का निर्धारण कर देश के मेहनतकश लोगों को सम्मान पूर्वक जीवन निर्वाह करने के लिए अच्छे दिन की सार्थकता सिद्ध करनी होगी।
मिनिमम वेज में 25 फीसदी तक संभव : मोदी सरकार देश में न्यूनतम मजदूरी दर को 25 फीसदी तक बढ़ा सकती है. इसे सभी राज्यों के लिए अनिवार्य भी बनाया जा सकता है। इस कदम का मकसद गरीबों की जीवन शैली में सुधार करना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना है। खबर है कि, श्रम मंत्रालय राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए तीन ग्रुप्स पर विचार कर रहा है। ये ग्रुप इन राज्यों में अकुशल, अर्धकुशल और कुशल श्रेणी के कामगारों की प्रति व्यक्ति आय और न्यूनतम मजदूरी के हिसाब से बनाए जायेंगे। मंत्रालय ने हाल ही में 137 रू. से बढ़ाकर 160 रू. रोजाना कर दिया है। यह दर जुलाई से लागू हो गई है। इस हिसाब से एक अकुशल श्रमिक का मासिक वेतन 4,800रू. बैठेगी लेकिन यह केवल एडवाइजरी है, और राज्योें के लिए इसे लागू करना अनिवार्य नहीं है। इस वजह से कुछ राज्यों में मजदूरी बेहद कम है और इससे मजदूरों में असंतोष बना हुआ है। शैक्षणिक योग्यता और राज्यों के मजदूरी के अंतरों को अनिवार्य बनाने के बदलाव के लिए मिनिमम वेतन एक्ट 1948 में संसोधन करना होगा अकुशल मजदूर के लिए न्यूनतम वेतन हेतु एक फार्मूला पर काम कर रहा है यह अर्धकुशल के लिए डेढ़ गुणा तक उपर जा सकता है। और मजदूरी में नियमित अंतराल पर संशोधन किया जायेगा। इंटक श्रमिक नेता गनपत चैहान कैलकुलशन करके बतलाते है कि, गोवा, दिल्ली, सिक्किम, चंडीगढ़, पांडिचेरी और महाराष्ट्र जैसे राज्यों (जहां देश भर में सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति आय अधिक है) की पहली कैटिगरी होगी, यहां अनस्किल्ड वर्कर की न्यूनतम मजदूरी 8,000रू. से 9,000रू. की रेंज में होगी. वहीं दूसरी ओर बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, असम जैसे सबसे कम प्रति व्यक्ति आमदनी वाले राज्यों में न्यूनतम मजदूरी 6,000 रू. प्रति माह हो सकती है. जो 25 फीसदी का इजाफा है और यह हाल में बढ़ाए नेशनल फ्लोर लेवल मिनिमम वेज पर आधारित है। इस हिसाब से गरीब राज्यों के लिए अर्धकुशल और कुशल वर्कस के लिए न्यूनतम मजदूरी अमीर राज्यों से 10,000 रू. प्रतिमाह और गरीब राज्यों में 12,000 रू. होगी।