[aps] वन विभाग एक ओर नया पौधरोपण की तैयारी कर रहा है। दूसरी ओर वन सुधार के तहत कोसमखार में रोपे गए पौधों को बचाने में नकार साबित हो रहा है। देखरेख नहीं होने से पूर्व में रोपित पौधे मवेशियों का निवाला बन रहे हैं। [/aps] रायगढ़ – वन विभाग द्वारा वनसुधार के तहत कोसमखार के पास करीब 36.793 हेक्टेयर भूमि में विभिन्न प्रकार के पौधों का रोपण किया था। विभाग ने वर्ष 2009-10 से 2014-15 तक को पौध संरक्षण के लिए घोषित किया था, लेकिन कोसमखार में पौधरोपण करने के बाद उसकी देखरेख भूल गया । वहां रोपित पौधे धीरे-धीरे बड़े हो रहे है, लेकिन अब देखरेख के अभाव में मवेशी उसे अपना निवाला बना रहे हैं। वन विभाग द्वारा मुनारा क्रमांक 1027 से 1028 तक फेसिंग किया गया, जो अब कई स्थान पर क्षतिग्रस्त हो गया है। ऐसे में वहां सुरक्षा अभाव में क्षेत्र के रोपित पौधे मवेशियों का चारा बनता जा रहा है। अगर वन विभाग समय रहते कोसमखार में लगे पौधे की देखभाल नहीं किया, तो पौधे आने वाले दिनों में नष्ट की कगार पर पहुंच जाएंगे। वन विभाग ने बिगड़े वन सुधार के तहत मुनारा क्रमांक 1027 से 1028 तक सागौन, जामुन, अर्जुन, आंवला व आरकेशिया सहित कई प्रकार के पौधेरोपित किए हैं।
सफाई भगवान भरोसे :
विभाग ने 36.793 हेक्टेयर में कीमती पौधे तो रोपित कर बिगड़े वन सुधार की पूर्ति कर रहा है, लेकिन उनकी देखभाल नहीं कर पा रहा है। नियमतः क्षेत्र के रेंजर व वन विभाग को देखरेख करनी होती है। बावजूद वन विभाग इससे अनजान बना बैठा है। जिससे रोपित पौधों को घास ने घेरा लिया है। जिससे पौधों का सम्पूर्ण विकास नहीं हो पा रहा है। जगह को देखकर ऐसा लगाता है कि सालों से वहां की सफाई नहीं हुई है।
कई मुनारा टूटा तो बोर्ड भी धराशायी :
कोसमखार के पौध रोपित क्षेत्र में वन विभाग द्वारा मुनारा बनाया गया है, जो देखरेख के अभाव में टूट गया है। वहीं वन विभाग द्वारा निर्माण का सूचना पटल भी जमींदोज हो गया है।