जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम करने का ऐलान
रायगढ़, 20 अगस्त 2015/ रायगढ़ जिले में संचालित बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम में अब सामाजिक संस्थाएं एवं गैर शासकीय संगठन भी अपनी सक्रिय सहभागिता निभायेंगे। जिले की सामाजिक संस्थाओं एवं गैर शासकीय संगठनों ने बेटियों की जीवन रक्षा एवं उनकी शिक्षा-दीक्षा के प्रति सकारात्मक वातावरण के निर्माण में जिला प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का ऐलान किया है। कलेक्टर श्रीमती अलरमेल मंगई डी की विशेष मौजूदगी में आज सृजन सभाकक्ष में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम में समाज की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आयेाजित बैठक में सभी ने बेटियों की जीवन रक्षा का स्वस्र्फूत रूप से संकल्प लिया। बैठक में विभिन्न समाजों के प्रमुख, उद्योगों के प्रतिनिधि, गैर शासकीय संगठन एनजीओ के प्रतिनिधि तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद थे।
कलेक्टर श्रीमती अलरमेल मंगई डी ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में स्त्रियों का अनुपात पुरूषों की संख्या में कम होना एक चिंतनीय विषय बन चुका है। बालिका भु्रण हत्या जैसे घिनौने अत्याचार की वजह से स्त्री-पुरूष अनुपात वर्ष दर वर्ष घटता जा रहा है। गर्भ में लिंग की जांच और फिर कन्या भ्रूण की हत्या के कारण दिन प्रतिदिन कम होती स्त्रियों की संख्या से समाज में चिंताजनक स्थिति निर्मित हो चुकी है। कन्या भ्रूण हत्या का मूल कारण कन्या के प्रति समाज की मानसिकता सोच व दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा कि समाज की मानसिकता और सोच में परिवर्तन लाने के लिए अब एक साथ मिल-जुलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सभी शासकीय विभागों विशेषकर महिला बाल विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग तथा अशासकीय संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं संस्थाओं की सक्रिय सहभागिता की अपील की। कलेक्टर ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में इस कार्यक्रम को ज्यादा फोकस करने की जरूरत है। पीएनडीटी एक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन एवं मॉनिटरिंग जरूरी है। कलेक्टर ने महिला एवं बाल विकास विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग को स्वास्थ्य केन्द्रवार बीते तीन साल के जन्म के आंकड़े तैयार करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि प्रत्येक गर्भवती माता का पंजीयन एवं फालोअप जरूरी है। उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए जिले के सभी सोनोग्राफी सेंटर में टे्रकिंग मशीन लगाई गई है। सोनोग्राफी मशीन में एक ऐसा सॉफ्टवेयर अपलोड किया गया है। जैसे ही सोनोग्राफी मशीन स्टार्ट होगी इसकी सूचना प्रशासन को मिल जाएगी।
कलेक्टर श्रीमती मंगई डी ने जिला प्रशासन द्वारा जिले में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के लिए किए जा रहे प्रयासों की विस्तार से जानकारी ली। बैठक में अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सभा की श्रीमती सुधा अग्रवाल एवं रेखा अग्रवाल ने महिला सभा द्वारा संचालित कार्यक्रम की जानकारी देते हुए इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही। विजय लक्ष्मी समाज कल्याण समिति की संचालिका श्रीमती दत्ता ने भी इस कार्यक्रम के संचालन को लेकर कई उपयोगी सुझाव दिए। बैठक में उपस्थित डॉ. सुशील कुमार एक्का ने राष्ट्रीय कैडेट कोर के स्वयं सेवकों को भी इस अभियान से जोडऩे का सुझाव दिया। श्री रतेरिया एवं मारवाड़ी युवा मंच के अध्यक्ष श्री सक्ती अग्रवाल ने हायर सेकेण्डरी स्कूलों के शैक्षणिक गतिविधियों में इस विषय का समावेश किए जाने का सुझाव दिया। मार्निंग वाकिंग क्लब के श्री दीपक डोरा ने बालिकाओं को जन्म देने वाली माताओं के सम्मान का कार्यक्रम अपनी संस्था की ओर से आयोजित करने की बात कही। बैठक के अंत में यह तय किया गया कि जिले की सामाजिक संस्थाओं, गैर शासकीय संगठनों द्वारा इस अभियान के लिए प्रस्तावित गतिविधियों का एक वार्षिक कैलेण्डर तैयार किया जाए और सभी के सहयोग से इसका व्यापक प्रचार-प्रसार एवं प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। बैठक के प्रारंभ में कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्रीमती अनिता अग्रवाल ने बैठक के प्रारंभ में इस कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि रायगढ़ जिले में जन्म पर बाल लिंगानुपात 918 है। उन्होंने बताया कि पूरे भारत में न्यूनतम बाल लिंगानुपात के आधार पर 100 जिलों का चयन बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र जिला रायगढ़ है जो इस कार्यक्रम के अंतर्गत चयनित किया गया है। उन्होंने बताया कि देश में लिंगानुपात 918, छत्तीसगढ़ में 964 तथा रायगढ़ जिले में 947 है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लिंगानुपात में 10 अंकों की वृद्धि करने के साथ ही 5 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के पोषण स्तर में सुधार लाना तथा 2017 तक हायर सेकेण्डरी स्तर पर 79 प्रतिशत बालिकाओं का दाखिला सुनिश्चित करना है। उन्होंने यह भी बताया कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा लैगिंक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है। श्रीमती अग्रवाल ने बताया कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में जन-जागरूकता के विविध कार्यक्रम लगातार आयोजित किए जा रहे है। अब तक जिले में जन-जागरूकता के लिए 273 रैली, 261 बालिका जन्मोत्सव कार्यक्रम तथा 27 महिला जागृति शिविर आयोजित किए जा चुके है। इस कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए लगभग 6 हजार लोगों को प्रशिक्षित किया गया है।
बैठक में नोनी सुरक्षा योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए यह बताया गया कि छत्तीसगढ़ राज्य में बालिकाओं के शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से तथा कन्या भ्रुण हत्या रोकने और बालिकाओं के जन्म के प्रति जनमानस में सकारात्मक सोच व बाल-विवाह की प्रथा को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से यह योजना एक अप्रैल 2014 से प्रारंभ की गई है। बीपीएल परिवार में प्रथम दो बालिका के जन्म पर बालिका के नाम पर प्रतिवर्ष 5 साल तक 5-5 हजार रुपए सरकार द्वारा जमा किए जायेंगे, जो बालिका के 12 वीं कक्षा की शिक्षा पूर्ण होने पर उसे एक लाख रुपए दिया जाएगा। इसी तरह सुकन्या समृद्धि योजना के बारे में भी बैठक में जानकारी दी गई।