रायगढ़, 24 जुलाई 2015/ रायगढ़ के धांगरड़ीपा में चल रहे श्रीमद भागवत कथा के पंचम दिवस पं. तीरथ राज शास्त्री ने अपने मुखारविंद से श्रद्धालुओं को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव एवं उनकी लीलाएं बड़े ही सुंदर ढंग से कथा के माध्यम से बताया। उन्होंने कहा कि कारागार में जन्मे बाल कृष्ण को आकाशवाणी से प्रेरित होकर बसुदेव ने टोकनी में कृष्ण को उठाये। योग माया से वसुदेव के हाथ-पाव की बेड़ी खुल गई। सब पहरेदार योग निद्रा में सो गये। यमुना में बाढ़ आयी थी। बसुदेव जी रास्ता मांगे यमुना जी द्वारा रास्ता दिया गया। वसुदेव ब्रज में जाकर नंद बाबा के यहां यशोदा के गर्भ से जन्मी कन्या को लेकर कृष्ण को वही रखकर वापस आ गए। वहां भी सब योग निद्रा में थे। यहां तक कि यशोदा को भी मालूम न था कि मेरा लडक़ा या लडक़ी हुई है। वसुदेव जी कारागार में आते ही पहले जैसे हाथ-पाव में बेडिय़ा लग गई और कन्या रोने लगी। पहरेदार सब जाग गये। सुबह होने वाली थी। कंश को पता चला दौड़ते आया कन्या को वसुदेव जी से छिनकर जैसे शिला में पटकना चाहा वो हाथ से छूटकर आकाश में अष्टभूजि दुर्गा के रूप में प्रगट हो गई और कहा कि अरे दुष्ट कंश तुम जिसे मारना चाहते हो वो कही और जन्म ले चुका है। कंश डर गया और अपने दैत्य अनुचरों को बुलाकर कहा कि आसपास या कही सालभर का बच्चा जन्मा है उसे खोज-खोज कर मार डालो। इधर ब्रज में नंद बाबा सुबह पुत्र जन्म सुनकर उत्सव मनाए। इसी कड़ी के साथ महाराज जी भजन गाए कान्हा जन्म सुनी आई यशोदा मैय्या दे दो बधाई.. और उसी के साथ कन्हैया का षष्ठी संस्कार हुआ। त्रयोदशी को भगवान शिव कन्हैया का दर्शन करने आए वहीं आशेश्वर शिव के नाम से प्रतिष्ठित हो गए। नंदबाबा कंश का कर चुकाने मथुरा गए थे। इसी बीच चर्तुदशी को कंश से प्रेरित पुतना राक्षसी गोपी का वेश बनाकर आई अपने स्तन में विष लगाकर कन्हैया को दूध पिलाई। भगवान दूध के साथ उसके प्राण भी पी गए। पुतना को उद्धार किए। भगवान किसी को मारते नहीं जीव को उसके कर्मो के अनुरूप फल देकर तारते है। भगवान तीन महीने के हो गए। आगे इसी कड़ी के साथ भगवान श्री कृष्ण लीला के बारे में श्रद्धालुओं को बताया। श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। इस अवसर पर मोहल्ले एवं आसपास के समस्त महिला एवं पुरूष श्रद्धालु भक्त बड़ी संख्या में उपस्थित थे।