रायगढ – शहर के एक निजी स्कूल में बरामदे की छत का प्लास्टर गिरने से 4 छात्र बुरी तरह जख्मी हो गए। वहीं घटना के बाद स्कूल प्रबंधन जानकारी देने से बचता नजर आया, जिससे नाराज अभिभावकों ने स्कूल पहुंच जमकर हंगामा मचाया। ऐसे में किसी तरह प्राचार्य के निवेदन पर पालकों का गुस्सा थमा, वहीं घायल छात्रों का प्राथमिक उपचार किया जा रहा है।
जिले के कई स्कूल जर्जर भवनों में संचालित हो रहे हैं, बावजूद विभाग इस ओर ध्यान देने की बजाय आंख बंद किए बैठा है। जिसकी वजह से आए दिन छात्रों को हादसों का सामना करना पड़ रहा है। इसका ताजा उदाहरण गुरुवार को रामभांठा स्थित सेंट माइकल स्कूल में देखने को मिला। मिली जानकारी के मुताबिक दोपहर 12.30 बजे लंच टाइम पर छात्र स्कूल से बाहर निकल रहे थे, तभी विद्यालय भवन के दूसरे छत के बरामदे का प्लास्टर भरभराकर गिर गया। अचानक हुए इस हादसे के बाद छात्रों में भगदड़ मच गई और कक्षा तीसरी एवं चौथी कक्षा में पढ़ने वाले 4 बच्चे मलबे के नीचे दब गए। हालांकि छत का केवल प्लास्टर गिरा था, इसलिए बच्चों को ज्यादा चोट नहीं आई। बावजूद तीसरी कक्षा के छात्र मनीष यादव के सिर, ओम राठौर के पैर और अभय यादव के हाथ में चोट आई। वहीं चौथी कक्षा में पढ़ने वाले साहिल अंसारी के पैर में गंभीर रूप से चोट आई। वहीं जब मलबा गिरने की खबर परिजनों को हुई तो वे तत्काल स्कूल पहुंचे और प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा मचाना शुरू कर दिया। ऐसे में प्राचार्य सुशील एक्का द्वारा अभिभावकों को समझाइश देने के बाद मामला शांत हुआ।
दे रहे थे गलत जानकारी
स्कूल परिसर में हुए हादसे की जानकारी लगते ही परिजन के साथ मीडियाकर्मी भी मौके पर पहुंचे और प्रबंधन से घायल बच्चों की जानकारी मांगी तो गलत जानकारी दी जाती थी। चूंकि घटना 12.30 बजे हुई थी, मगर उसका समय प्रबंधन 1.30 बजे बता रहा था। वहीं हादसे में 4 छात्र गंभीर रूप से घायल हुए थे, जिनकी संख्या भी प्रबंधन तीन ही बताया जा रहा था। ऐसे में एक स्कूली छात्र के माध्यम से घायलों की हमें सही जानकारी मिली है।
छात्रहित से नहीं सरोकार
घटना के बाद स्कूल प्रबंधन की लापरवाही चरम पर पहुंच गई। ऐसा पहली बार देखा गया है कि गंभीर रूप से घायल बच्चों को स्कूल में प्राथमिक उपचार के बाद परिजन को सौंपा गया। जबकि प्रबंधन को घायल बच्चों को अस्पताल ले जाकर उन्हें उपचार कराना था। इस प्रकार की कार्यशैली से स्पष्ट होता है कि शाला प्रबंधन केवल मोटी फीस लेने ही अपनी रुचि दिखाता है। वहीं छात्रहित में उसका कोई सरोकार नहीं रह गया है।