रायगढ़ – घरघोड़ा ब्लॉक के जामपाली स्थित एसईसीएल के कोल ब्लॉक प्रभावित परिवारों एसईसीएल के ढुमलुल रवैया की वजह से परेशान है। एसईसीएल द्वारा ग्रामीणों को रोजगार, मुआवजा, पुनर्वास सुनिश्चित करने ग्रामीणों के साथ एक बैठक की गई थी। जिसमें समझौता के तहत तय किया गया था कि उत्पादन चालू करने के साथ-साथ प्रभावित परिवारों को मुआवजा, पुनर्वास व रोजगार सुनिश्चित किया जाएगा। समझौता के तहत ग्रामीणों द्वारा एसईसीएल को उत्पादन शुरू करने दे दिया, लेकि न इसके बाद एसईसीएल द्वारा ग्रामीणों की सुध लेना बंद कर दिया। जिससे ग्रामीणों में एसईसीएल के प्रति नाराजगी देखी जा रही है। एसईसीएल के इस नए कोल ब्लॉक से 1.2 मिलियन टन कोयले का उत्पादन का लक्ष्य है।
घरघोड़ा ब्लॉक के जामपाली में स्थित एसईसीएल के कोल ब्लॉक से चार गांव जामपाली, सिंगमौजा, कुड़ुमके ला व डुमरपाली प्रभावित गांव है। चार गांव के करीब 3 सौ से अधिक प्रभावित परिवार हैं। समझौता के तहत एसईसीएल उत्पादन के साथ-साथ ग्रामीणों की पुनर्वास नीति पर भी अमल करता चलेगा। प्रभावित ग्रामीणों की मानें तो एसईसीएल अपनी नीति पर ग्रामीणों मुआवजा देना चाहता है। जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। दरअसल एसईसीएल व ग्रामीणों के साथ हुए समझौता के तहत वे अपनी मर्जी वाले स्थान पर बसेंगे इसके लिए एसईसीएल से मुआवजा की मांग कर रहे हैं। एसईसीएल द्वारा घरघोड़ी में प्रभावित परिवारों को बसाने के लिए भू-खंड की खरीदी तो की है लेकिन बिना किसी संसाधन के ग्रामीणों को वहां बसने कहा जा रहा है। जबकि घरघोड़ी में एसईसीएल द्वारा अब तक बिजली,पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा सकी है। ऐसे में ग्रामीणों के समक्ष ऊहापोह की स्थिति है। अब ग्रामीण एसईसीएल के खिलाफ लामबंद होने के लिए बैठकों का दौर शुरू कर रहे हैं।
उत्पादन के साथ प्रभावितों का रोजगार सुनिश्चित हो
ग्रामीणों की मांग है कि एसईसीएल के साथ हुए समझौता के तहत एसईसीएल को उत्पादन के साथ प्रभावित गांव के ग्रामीणों के रोजगार को सुनिश्चित करेगा। लेकिन ऐसा नहीं हो सका है। ग्रामीणों की मांग है कि बैठक में हुए समझौते का पालन हो और ग्रामीणों को समझौता के अनुसार पुनर्वास, नौकरी व रोजगार की सुविधा मुहैया कराया जाए। जिन्हें नौकरी अब तक नहीं मिली योग्यता के अनुसार नौकरी दी जाएगी। लेकिन अब तक किसी भी ग्रामीण को नौकरी नहीं मिल सकी है। जबकि समझौता के अनुसार उत्पादन शुरु हो जाने पर प्रभावितों को प्राथमिकता क्रम में नौकरी मिलना था। जबकि एसईसीएल प्रबंधन का कहना है कि 9 लोगों का नौकरी के लिए आवेदन आया था जिसे परीक्षण कर मुख्यालय को भेज दिया गया है।
पुनर्वास नीति पर पालन नहीं
प्रभावित गांव के ग्रामीणों की माने तो एसईसीएल द्वारा पुनर्वास नीति का पालन का पालन नहीं किया जा रहा है। ग्रामीण अपनी मर्जी से दूसरे गांव में बसना चाहते हैं। जिसमें एसईसीएल के नियमानुसार परिवार के प्रत्येक बालिक सदस्य को 3-3 लाख मिलना चाहिए, लेकिन ऐसा करने से एसईसीएल आना कानी कर रही है। इसके अलावा एसईसीएल द्वारा पुनर्वास नीति का पालन नहीं करने से ग्रामीणों में रोष उत्पन्न होते जा रहा है।