पूरक पोषण आहार के लिए 470 करोड़ रूपए
एकीकृत बाल संरक्षण कार्यक्रम के लिए 50 करोड़ रूपए का बजट
निःशक्त बच्चों के शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए 15.64 करोड़ रूपए का प्रावधान
सामाजिक सहायता कार्यक्रम की पेंशन योजनाओं के लिए 705.85 करोड़ का प्रावधान
कृत्रिम अंग और सहायक उपकरण के लिए नौ करोड़ रूपए
वरिष्ठ नागरिकों की तीर्थ यात्रा के लिए 45 करोड़ रूपए का बजट
रायपुर, 25 मार्च 2015
छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज पक्ष और विपक्ष के सदस्यों की विस्तृत चर्चा के बाद वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग और समाज कल्याण विभाग की 1010 करोड़ 98 लाख 46 हजार रूपए की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित कर दी गई। इनमें महिला एवं बाल विकास विभाग के लिए 940 करोड़ 13 लाख तीन हजार रूपए और समाज कल्याण विभाग के लिए 70 करोड़ 85 लाख 43 हजार रूपए का बजट शामिल है।
महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशिला साहू ने सदन में अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान बताया कि राज्य के सबसे अधिक जरूरतमंद बच्चों और महिलाओं के विकास तथा संरक्षण के प्रति राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। वित्तीय वर्ष 2003 में विभाग का बजट 149 करोड रूपए था, जो अब बढ़कर 1784 करोड़ रूपए हो चुका है। इस प्रकार वर्ष 2003 की तुलना में विभाग के बजट में राज्य सरकार द्वारा उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। श्रीमती साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ के गठन के बाद इन 14वर्षों में विभाग द्वारा प्रदेश के नौनिहालों, बालिकाओं और महिलाओं के सर्वागीण विकास कल्याण एवं संरक्षण की दिशा में अनेक योजनाएं एवं कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास के लिए राज्य में किए गए नवाचारों और सतत प्रयासों के कारण देश में छत्तीसगढ़ की एक अलग पहचान बन गई है। उन्होंने बताया कि राज्य में आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से हितग्राहियों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवाओं का सुदृढ़ीकरण और पुनर्गठन किया गया है। एकीकृत बाल विकास सेवाओं के सुचारू रूप से क्रियान्वयन के लिए 1055 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है, जिसमें एकीकृत बाल विकास योजना (सामान्य) के अंतर्गत 547 करोड़ रूपए, प्रशिक्षण मद में बारह करोड़ रूपए, आंगनबाड़ी केन्द्रों के निर्माण के लिए 26 करोड़ रूपए तथा आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से गुणवत्ता युक्त पूरक पोषण आहार प्रदाय हेतु 470 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। वर्ष 2001 में आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से लाभान्वित होने वाले हितग्राहियों की संख्या लगभग ग्यारह लाख 60 हजार थी, लेकिन राज्य में एकीकृत बाल विकास सेवाओं के सुदृढ़ीकरण और विस्तार के फलस्वरूप आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से लाभान्वित होने वाले हितग्राहियों की संख्या बढ़कर 26 लाख 60 हजार हो चुकी है। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्रों को बाल सुलभ और संसाधन पूर्ण बनाने के लिए जीवंत बाल विकास केन्द्र के रूप में स्थापित किया जाएगा। इसके लिए कुल 29 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। आंगनबाड़ी केन्द्रों के विद्युतीकरण के फलस्वरूप विद्युत व्यय के लिए तीन करोड़ रूपए, इन केन्द्रों में इलेक्ट्रॉनिक वजन मशीन प्रदान करने के लिए 20 करोड़ रूपए और बाल सुलभ स्कूल पूर्व शिक्षा सामग्री वितरण के लिए 12 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ने सदन में बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से हितग्राहियों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2003 में पूरक पोषण आहार मद में 63 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया था, जिसे बढ़ाकर वर्ष 2015-16 में 470 करोड़ रूपए कर दिया गया है। रेडी-टू-ईट के नमूने के विश्लेषण में आ रही कठिनाईयों के निराकरण के लिए राज्य में नमूना विश्लेषण हेतु प्रयोगशाला स्थापित करने की घोषणा इसी सदन में की गई है। इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के प्रति आभार प्रकट करते हुए श्रीमती साहू ने बताया कि निश्चित ही राज्य में प्रयोगशाला की स्थापना से रेडी-टू-ईट की और अधिक गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकेगी। रेडी-टू ईट की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, स्व-सहायता समूहों के लिए दण्डात्मक प्रावधानों को और अधिक कड़ा किया गया है। राज्य के दस जिलों में केन्द्र सरकार की सबला योजना के तहत 11 से 18 वर्ष आयु की किशोरी बालिकाओं को प्रशिक्षण के साथ-साथ पूरक पोषण आहार वितरित किया जा रहा है, जबकि शेष 17 जिलों की किशोरी बालिकाओं को राज्य के बजट से प्रशिक्षण और पूरक पोषण आहार उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके लिए राज्य की निधि पर 86 करोड़ रूपए का अतिरिक्त भार आ रहा है। इस योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2015-16 के बजट में 153 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। श्रीमती साहू ने बताया कि राज्य सरकार बच्चों में व्याप्त कुपोषण और किशोरी बालिकाओं व महिलाओं में व्याप्त एनीमिया को न्यूनतम स्तर तक लाने हेतु कृत संकल्पित है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन ंिसंह के मार्गदर्शन में राज्य में चल रहे कुपोषण मुक्ति अभियान और प्रयासों से निश्चित ही वर्ष 2015 तक प्रदेश में सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होंगे। कुपोषण मुक्ति के लिए नवाचारी योजनाओं- मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना, नवाजतन योजना, स्नेह शिविर और सुपोषण चौपाल के सफल संचालन की बदौलत पिछले एक दशक में प्रदेश में कुपोषण के स्तर में 14 प्रतिशत की कमी आई है। राज्य के 18 वर्ष तक के बच्चों के हितों की रक्षा और उनके संरक्षण के लिए प्रदेश में एकीकृत बाल संरक्षण कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसके लिए बजट में 50 करोड़ रूपए का प्रावधान रखा गया है।
समाज कल्याण विभाग के बजट प्रावधानों की जानकारी देते हुए श्रीमती रमशिला साहू ने बताया कि राज्य में अधिक से अधिक निःशक्त व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्रदान कर स्वावलम्बी बनाने के उद्देश्य से शासकीय और अर्धशासकीय सेवाओं में छह प्रतिशत का आरक्षण प्रदान कर राज्य के समस्त विभागों में उनके लिए उपयुक्त पदों का चिन्हांकन किया गया है। निःशक्त बच्चों के शिक्षण और प्रशिक्षण के लिए वर्तमान में 19 शासकीय तथा 33 स्वैच्छिक संस्थाएं कार्यरत है। इसके लिए 15 करोड़ 64 लाख 37 हजार रूपए का प्रावधान किया गया है। निःशक्त व्यक्तियों की गतिशीलता तथा उनकी क्षमता को बढ़ाने के लिए कृत्रिम अंग और सहायक उपकरण का वितरण वृहद शिविरों के माध्यम से किया जा रहा है। इसके लिए नौ करोड़ 49 लाख 35 हजार रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। 18 वर्ष या अधिक आयु के बौद्धिक मंदता वाले निःशक्त व्यक्तियों को आजीवन आश्रय प्रदान के करने के लिए संभाग स्तरों पर घरौंदा योजना के अंतर्गत आश्रय गृह की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही निःशक्तजनों को बाधारहित वातावरण प्रदान करने के लिए प्रदेश के सार्वजनिक स्थलों और भवनों को निःशक्तजनों के आवागमन के अनुकूल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। बजट में इसके लिए पांच करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। श्रीमती साहू ने बताया कि विभाग में सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत संचालित मासिक पेंशन योजनाओं की पेंशन राशि में 50 रूपए प्रतिमाह की वृद्धि की गई। पेंशन योजनाओं के लिए बजट में 705 करोड़ 85 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। पेंशन भुगतान में पारदर्शिता लाने तथा त्वरित भुगतान के लिए नगर निगमों में बायोमेट्रिक पद्धति से पेंशन भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। आगामी वर्षों में सभी नगरीय निकायों में भी यह पद्धति लागू की जाएगी।
विभाग द्वारा तृतीय लिंग समुदाय को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में तृतीय लिंग समुदाय के लिए राज्य स्तरीय तृतीय लिंग कल्याण बोर्ड का गठन किया गया है। राज्य में तृतीय लिंग समूह के व्यक्तियों का सर्वेक्षण, मूल्यांकन और पर्यवेक्षण का कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश के तीन हजार 500 तृतीय लिंग के व्यक्तियों का सर्वेक्षण किया गया है। तृतीय लिंग के व्यक्तियों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए उन्हें रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण जैसे ब्यूटीपार्लर, फैशन डिजाईनिंग, टेलरिंग, कैटरिंग आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए बजट में 40 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए 15 जनवरी 2013 से राज्य में मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना शुरू की गई है, जिसके तहत प्रदेश के वरिष्ठ नागरिकों को उनकी इच्छा के अनुरूप तीर्थ स्थलों के दर्शन का मौका मिल रहा है। राज्य की जनता ने इस योजना की काफी सराहना की है। इस योजना के लिए बजट में 45 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।