रायगढ़। बिलासपुर डिवीजन में मालगाड़ी के परिचालन में वृद्धि करने का फैसला किया गया है। जिसकी बदौलत राजस्व प्राप्ति के साथ रेलवे की अधूरी योजनाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी। ऐसे में, डिवीजन के कमर्शियल अधिकारी मालगाड़ियों के परिचालन वाले मुख्य केंद्रों का दौरा कर मौजूदा स्थिति का आंकलन करने में जुट गए हैं। इसके लिए डिवीजन के एक आला अधिकारी रायगढ़ में कैंप किए हुए हैं।
रेलवे के कमाऊ पूत कहे जाने वाले बिलासपुर डिवीजन को एक बार फिर सरकारी खजाना भरने की जिम्मेदारी दी गई है। मिली जानकारी के अनुसार मालगाडियों के परिचालन में अव्वल बिलासपुर डिवीजन में अतिरिक्त मालगाड़ी चलाने का फैसला किया गया है। इसके लिए औद्योगिक इंकाई व कोल साइडिंग वाले रेल मार्गो का चयन किया जा रहा है। इसमें रायगढ़ भी शामिल है। जहां छोटी-बड़ी कंपनियों के अलावा ब्रजराजनगर, भूपदेवपुर, चपले व अन्य कोल साइडिंग है। इसके साथ ही यहां बड़े पैमाने पर मालगाडियों का परिचालन भी होता है। इसके लिए डिवीजन के कमर्शियल अधिकारी रायगढ़ में कैंप किए हुए है। जो रेल ड्राइवरों से बात करने के साथ ही उक्त मार्ग पर होने वाली परेशानियों को खंगालने में लगे हुए है।
सर्वे के बाद इसकी जानकारी मंडल, जोन व उसके बाद बोर्ड को भेजी जाने की बात कही जा रही है। इस कड़ी में पिछले सप्ताह बिलासपुर के एसीएम को मालगाड़ी में बैठकर रायगढ़ से बिलासपुर तक का सफर करना पड़ा था। जानकारों की माने तो बिलासपुर डिवीजन में फिलहाल 650-700 मालगाड़ी चलती हैं। जिसे बढ़ाकर करीब एक हजार करने की तैयारी है। जिससे रेलवे का बतौर राजस्व एक मोटी कमाई हो सके। विदित हो कि शिलान्यास के बावजूद राशि के अभाव में रेलवे की कई योजनाएं अधर में लटकी हुई है। इससे यात्री सुविधाएं प्रभावित हो रही है। ऐसे में, मालगाड़ियों का अतिरिक्त परिचालन निश्चिय ही सरकारी खजाना भरने में मददगार की भूमिका अदा कर सकता है।
हालांकि रेलवे की इस तैयारी में रेल ड्राइवरों की कमी बाधा बन सकती है। रायगढ़ सहित अन्य सभी जगह जरूरत के मुताबिक रेल ड्राइवरों नहंी है। जानकारों की माने तो 20-25 प्रतिशत ड्राइवरों की कमी हर एक लॉबी में है। ऐसे में, परिचालन संबंधी कोई नए प्रस्ताव से पहले रेल ड्राइवरों की नियुक्ति अहम है। मिली जानकारी के अनुसार मालागड़ी के परिचालन में बढ़ोतरी के बीच सवारी ट्रेनों को भी ध्यान में रखा जाएगा। इससे मुबई हावड़ा रेल मार्ग पर दौड़ने वाली लंबी दूरी की ट्रेनें प्रभावित ना हो। इसमेंं लोकल ट्रेन भी शामिल है। हालांकि तीसरी लाइन बनने के बाद सवारी ट्रेनों के प्रभावित होने की गंूजाइश काफी कम होने की बात कही जा रही है।