सभी विभाग ज्यादा से ज्यादा जानकारी का प्रकटन करें -श्री मिंज
रायगढ़, 15 सितम्बर 2015/ राज्य मुख्य सूचना आयुक्त छत्तीसगढ़ श्री सरजियस मिंज की अध्यक्षता में आज सृजन सभाकक्ष में सूचना का अधिकार विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। श्री मिंज ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत भारत के प्रत्येक नागरिक को सूचना पाने का अधिकार है। उन्होंने सूचना को सरल रूप में परिभाषित करते हुए कहा कि सूचना एक सामग्री है, जो किसी रूप में लोक प्राधिकारी के पास अथवा उसके नियंत्रण में होती है। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित जनसूचना अधिकारियों को अपने-अपने विभाग से संबंधित ज्यादा से ज्यादा जानकारी का स्व-प्रकटन करने की समझाईश दी।
श्री मिंज ने कार्यशाला में आगे चर्चा करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के द्वारा विधिवत जानकारी मांगे जाने पर उन्हें 30 दिनों के अंदर सूचना उपलब्ध कराने का जनसूचना अधिकारी का दायित्व होगा। उन्होंने कार्यशाला में कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में शासन-प्रशासन और उसकी संस्थाओं में आम जनता का विश्वास कायम रहे, साथ ही प्रशासन के प्रत्येक कार्य में पारदर्शिता हो, जिससे आम जनता आसानी से देख-सुन सके और प्रश्न पूछ सके। लोकतंत्र में सूचना की शक्ति ही जनता और लोक कल्याणकारी सरकार की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा कि शासकीय योजनाओं और विकास कार्यांे की सफलता के लिए उनमें जनता की व्यापक और सक्रिय भागीदारी आवश्यक होती है यह तभी संभव हो सकता है जब शासन की नीतियों विभिन्न विकास कार्यक्रम और जन कल्याण से जुड़ी प्रत्येक शासकीय गतिविधियों की सकारात्मक और तथ्यात्मक जानकारी आम जनता तक पहुंचे। लोकतंत्र में देश की जनता चुने हुए लोगों को शासन करने का अवसर प्रदान करती है और यह अपेक्षा करती है कि सरकार पूरी ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करें।
श्री मिंज ने कार्यशाला में सूचना के अधिकार अधिनियम के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रमुख प्रावधान के तहत समस्त सरकारी विभाग, पब्लिक सेक्टर यूनिट, किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता से चल रही गैर सरकारी संस्थाएं व शिक्षण संस्थान आदि विभाग इसमें शामिल है। प्रत्येक सरकारी विभाग में एक या एक से अधिक जनसूचना अधिकारी बनाए गए है जो सूचना के अधिकार के तहत आवेदन स्वीकार करते है, मांगी गई सूचनाएं एकत्र करते है और उसे आवेदनकर्ता को उपलब्ध कराते है। जनसूचना अधिकारी की दायित्व है कि वह 30 दिन अथवा जीवन व स्वतंत्रता के मामले में 48 घंटे के अंदर कुछ मामलों में 45 दिन तक मांगी सूचना उपलब्ध कराए। यदि जनसूचना अधिकारी आवेदन लेने से मना करता है, तय समय-सीमा में सूचना नहीं उपलब्ध कराता है अथवा गत या भ्रामक जानकारी देता है तो देरी के लिए 250 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 25000 रुपए तक का जुर्माना किए जाने का प्रावधान है। लोक सूचना अधिकारी को यह अधिकार नहीं है कि वह आवेदक से सूचना मांगने का कारण पूछे।
मुख्य सूचना आयुक्त श्री सरजियस मिंज ने कहा कि सूचना से जागरूकता एवं सशक्तिकरण के साथ ही सरकार के कामकाज में पारदर्शिता आती है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 में यह प्रावधान मौलिक अधिकार के रूप में मौजूद रहा है। जनता को सरकार के कामों को जानने का अधिकार है। उन्होंने कहा स्वीडन में सूचना का अधिकार वहां के संविधान का हिस्सा है। तमिलनाडू एवं गोवा में 1997 में सूचना के अधिकार को लेकर कानून बनाया गया। श्री मिंज ने कहा कि सूचना का अधिकार लोकहित के लिए जरूरी है। इससे सूचनाओं का प्रकटन एवं सरकार के कामकाज की जानकारी एवं संसाधनों का सदुपयोग सुनिश्चित होता है। उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम की धाराओं का विस्तार से व्याख्या की। कार्यशाला के प्रारंभ में मास्टर टे्रनर श्री राजेश डेनियल ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन प्राप्त करने से लेकर जानकारी देने तक के प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री नीलेश कुमार क्षीरसागर, अपर कलेक्टर श्री श्याम धावड़े एवं श्रीमती प्रियंका ऋषि महोबिया, नोडल अधिकारी निष्ठा पाण्डेय, सभी विभागों के अपीलीय एवं जन सूचना अधिकारी, जन सूचना अधिकारी, समस्त एसडीएम, तहसीलदार एवं रीडर उपस्थित थे।