रायगढ़ – मोनेट इस्पात और एनर्जी लिमिटेड ने गंदा पानी छोड़ने और जल निकासी का प्रबंध नहीं करने के आरोप पर प्रशासन को सफाई दी है। इसमें कहा गया कि कुछ लोग निजी स्वार्थ के लिए गलत तथ्य पेश कर कंपनी को बदनाम कर रहे हैं।
संस्थान ने अनुविभागीय अधिकारी खरसिया को लिखे पत्र में बताया है कि मोनेट इस्पात एवं एनर्जी लिमिटेड पूर्व से पश्चिम दिशा में ढलान के साथ स्थापित है। इसके कारण सिंघनपुर गांव की तरफ से होने वाली बारिश का पानी प्लांट परिसर और नाले से होकर मांड नदी में जाता है। इसके अलावा स्थानीय निवासियों के घरों, प्राइवेट कालोनी, बाहर मौजूद होटल के साथ बारिश का पानी का भी स्वतः निर्मित जल मार्ग यही है। मोनेट कंपनी उपयोग में लाए जाने वाले पानी का पुनरचक्र ण करती है। इसकी वजह से संयत्र से निकलने वाले पानी की मात्रा लगभग शून्य है। संस्थान ने अपने आवासीय परिसर से निकलने वाले पानी को परिसर के अंदर ही बड़े-बड़े गड्ढों में इकठ्ठा करने का प्रबंध किया है। इनमें जमा पानी पंप के माध्यम से टैंकर में लेकर बागवानी और सड़कों पर छिड़का जाता है। संस्थान ने इसके अतिरिक्त संयत्र से निकलने वाले पानी के उचित तकनीकी प्रबंधन के लिए एसटीपी और ईटीपी निर्माण शुरू कर दिया है।
प्रबंधन के मुताबिक बारिश के दिनों में एकत्र पानी संयत्र परिसर और संस्थान के आवासीय परिसर से होकर रक्सापाली पहुंच मार्ग में निर्मित पुलिया के अन्दर से गुजरता है। वहीं पिछले दिनों कुछ लोगों ने साजिश के तहत पुलिया के मुहाने पर मिट्टी का भराव कर दिया। ऐसे में पुलिया के पिछले हिस्से समेत रक्सापाली पहुंच मार्ग पर बारिश का पानी भर गया और स्थानीय लोगों का आवागमन कई दिनों तक बाधित रहा। इस संबंध में आसपास के ग्रामीण, स्थानीय सरपंच और उपसरपंच के साथ ही संस्थान ने प्रशासन के पास शिकायत दर्ज कराई है।