[pullquote-left] श्रम विभाग में चलता है मैडमों का कानून [/pullquote-left]
MyCityMyChoice.com : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मजदूरों खासतौर पर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों एवं उनके परिवार के हित में बनाये गये कल्याणकारी योजनाएँ रायगढ़ जिले में दम तोड़ती नजर आ रही हैं जिसके लिये श्रम विभाग के स्थानीय अधिकारी और कर्मचारी ही जिम्मेदार हैं।
[pullquote-left] यहाँ श्रम विभाग में बैठे अधिकारी और कर्मचारियों के रवैये से श्रमिक ही नहीं श्रमिक संगठनों के नेता भी त्रस्त है [/pullquote-left] श्रम विभाग के दफ्तर में श्रमिकों के हित में सरकार की योजनाओं की जानकारी लेने पहुँचने वाले श्रमिकों को अमूमन बैरेंग लौटना पड़ता है। दरअसल इस दफ्तर में जैसे ही कोई श्रमिक पहुँचता है उससे इतने सारे सवाल पूछे जाते है कि वह अपना सिर पकड़ लेता है। दफ्तार में पदस्थ महिला कर्मचारी उन्हें श्रम कानून और नियमों का पाठ पढ़ाने लग जाती है, सभी जरूरी दस्तावेजों के होते हुए भी उन्हें मूल कापी लाने या अन्य दस्तावेज लाने के लिये कहा जाता है याने उन्हें इतना परेशान कर दिया जाता है कि आखिरकार हताश होकर मजदूर को बैरंग वापस लौटना पड़ता है। चाहे गये दस्तावेजो की श्रमिक संगठनो द्वारा पूर्ति कर दिये जाने के बाद भी उसे लेने से पहले ऑन लाइन पंजीयन के लिये रूपये की मांग की जाती है।
[pullquote-left] गर्भवती मजदूर महिलाओं के लिये प्रसूति योजना के मामले में भी यहाँ महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है [/pullquote-left] ऐसी महिलाओं द्वारा ए.एन.एम. और मितानिन द्वारा दिये गये प्रमाण पत्रों के बावजूद उनसे फुल साइज फोटो की मांग की जाती है जबकि योजना में ऐसा कोई प्रावधान नियम या शर्त है ही नहीं लेकिन दफ्तर की मैडम सोनम रवानी कहती हंै कि ऐसा कोई नियम भले ही नहीं है लेकिन हमारी तसल्ली के लिये फूल साइज फोटो जरूरी है। इस दफ्तर में सरकार के नियम कायदो से कोई काम नहीं होता मैडम सोनम रवानी और अहिल्या की जुबान से जो निकल जाये वह इस दफ्तर में नियम कायदा कहलाता है यहाँ तक कि श्रम अधिकारी भी उनके इशारो पर काम करते हैं।
भारतीय कामगार संघ के जिला अध्यक्ष महादेव पडि़हारी तथा छ.ग. कामगार सिविल एवं पेंटिंग संघ के अध्यक्ष गुड्डू सिंह ने यह भी बताया है कि श्रमिक प्रतिक्षालय योजना के तहत 2013 तक बनने वाला प्रतिक्षालय 2015 तक नहीं बना है जबकि इस हेतु 20 लाख रूपये की राशि जारी की जा चुकी हैं लेकिन स्थानीय अधिकारी इस मुद्दे पर सरकार को गुमराह कर रहे हैं।