[su_heading size=”20″ margin=”10″]नजरे रोजा मुस्तफा ढूंढती है…. दयारे रसुले खुदा ढूंढती है……[/su_heading]
रायगढ़/07 सितम्बर 2015/ हर मुसलमान की दिली ख्वाहिष होती है कि जिंदगी में एक बार पाक परवरदिगार के चैखट मक्का मदीना की जियारत का मौका मिले। मगर यह सौभाग्य सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलता है जिन्हे मदीने वाले का बुलावा आता है। इस साल खुदा की दरगाह में जाने का यह पाक मौका जिले के चार मुसलमानों को मिला है। जिनमें जायरीन बसीर अहमद सिद्धीकी, नुरून निषा सिद्धीकी हण्डी चैंक किरोड़ीमल कालोनी, शेख इस्माइल मधुबन पारा रायगढ़ (छ.ग.) 09 सितम्बर को प्रातः 11ः00 बजे की फ्लाईट से नागपुर से जद्दा के लिए रवाना होंगी। जिस तरह हिन्दू धर्म में धर्मों का विषेष महत्व है उसी तरह मुसलमानों के लिए मक्का शरीफ सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है। हर मुसलमानों की यह चाह होती है कि उसे मक्का मदीना के पाक जमीन को चूमने का अवसर प्राप्त हो तो हर मुसलमान चाहता है कि वो अपने मेहनत की कमाई से सफरे हज में जा सके। हर साल प्रदेष से हज यात्रियों के नामों का चुनाव होता है जिसका इंतजार भी हर मुसलमान को होता है। इस साल निकाले गये लाटरी में मक्का और मदीना शरीफ जाने का मुबारक मौका जिले के चार खुदकिस्मत मुसलमानों को मिला है। लिहाजा अल्लाह के दरगाह पर जाने वाले सौभाग्यषाली जायरीनों को रूख्सती देने भारी दादाद में मुस्लिम समुदाय व अन्य समाज के लोगों की भीड़ रेल्वे स्टेषन में उमड़ पड़ी। विगत 6 सितम्बर 2015 को शाम 4ः40 बजे टाटा नागपुर पैसेेजर से हज जायरिन रवाना हुए इस मौके पर हज जाने वाले जायरीनों को माला पहना कर एवं पुष्पगुच्छ भेंटकर सफर के लिए मुबारकबाद व शुभकामनाएं दी गई । इनमें ऐसे मुसलमान भी थे जो चाहकर भी इस साल हज को जा न सके। मगर दिल ही दिल में यह कहा कि मुबारक हो ये हज का महीना…। रेल्वे स्टेषन में सफरे हज में जाने वाले को रूख्सती देने पहुंचे हाजी इंजीनियर अहमद खान, रसीद खान, जमीर अहमद कुरैषी, जावेद अहमद कुरैषी, असफाक खान, विलायत खान, सनव्वर हुसैन, मो. वजीर, नवाब खान, शाद खान, नियाज खान, अय्युब अली, जफ़र खान, हारून रसीद, सलीम खान, गुलाम रहमान, इरफान, बाबू, एवं शेख ताजीम सहित अन्य लोग मौजूद थे।