रायगढ़ । सकारात्मक सोच, संगठन और आगे बढऩे का हौसला हो तो सफलता का रास्ता खुद-ब-खुद बनते जाता है। यह सिद्ध कर दिया है रायगढ़ के छोटे अतरमुड़ा की भारती स्व-सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने। समूह की महिलाएं सामूहिक रूप से सफलता पूर्वक राशन दुकान का संचालन करने से लेकर आंगनबाड़ी केन्द्र में बच्चों को पूरक-पोषण आहार के रूप में गर्म भोजन एवं नाश्ता देने का काम बखूबी अंजाम दे रही है। इससे समूह की महिलाओं को अतिरिक्त आमदनी के साथ ही परिवार और समाज में उनका मान-सम्मान भी बढ़ा है। राशन दुकान से महिला समूह को प्रतिमाह 5 हजार रुपए से अधिक का मुनाफा होने लगा है, जिससे समूह से जुड़ी प्रत्येक महिला को माह में औसतन 500 रुपए की आय हो रही है।
एकीकृत बाल विकास परियोजना रायगढ़ शहरी के अंतर्गत छोटे अतरमुड़ा की महिलाओं ने आज से पांच साल पहले स्व-सहायता समूह का गठन किया और अपने समूह का नाम भारती महिला स्व-सहायता समूह रखा। महिलाओं ने समूह के नियमावली तैयार की और प्रतिमाह 50 रुपए जमा करने का निर्णय लिया। समूह ने अपना बैंक खाता छत्तीसगढ़ ग्रामीण विकास बैंक में खोलकर उसमें राशि जमा करने के साथ ही आपस में लेन-देन भी शुरू किया। 2011 में छत्तीसगढ़ महिला कोष से समूह की महिलाओं ने 20 हजार रुपए का ऋण लेकर किराना दुकान शुरू की, इससे होने वाली आमदनी से उनका उत्साह बढ़ा। आज से एक साल पहले छत्तीसगढ़ महिला कोष से ही 50 हजार रुपए का ऋण प्राप्त कर अपने किराना दुकान के व्यवसाय को आगे बढ़ाया, आज इस दुकान से महिला स्व-सहायता समूह को प्रतिमाह 5 हजार रुपए से अधिक की आय होने लगी है। समूह की महिलाएं भारत स्वच्छता अभियान, सामूहिक कन्या विवाह, टीकाकरण, बाल विवाह की रोकथाम जैसे कार्येां में भी बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी निभा रही है। छत्तीसगढ़ महिला कोष से मिली ऋण राशि का सदुपयोग से समूह की महिलाओं की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है।