[aph]रायगढ़: [/aph] पहले सफाईकर्मी और अब जलकर्मी। ये रोज रोज क्या हो रहा है। हर दिन किसी न किसी विभाग के कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं और काम ठप करने की बात कर रहे हैं। इनके वेतन भुगतान को लेकर बार बार कैसी परेशानी आ रही है। उक्त बातें महापौर मधु बाई ने निगम आयुक्त से पूछी। इस दौरान महापौर प्लेसमेंट एजेंसी द्वारा किए जा रहे मनमानी को लेकर आयुक्त से अपनी नाराजगी भी व्यक्त की। उन्होंने एजेंसी संचालक को निगम में बुलाकर वेतन भुगतान को लेकर सीधा बात करने के निर्देश दिए।
निगम में हर दिन हो रहे हड़ताल से नाराज महापौर मधु बाई का कहना था कि चार महीने के कार्यकाल में आए दिन यहां के कर्मियों के वेतन भुगतान नहीं होने की समस्या आ रही है। इसे दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने निगम आयुक्त से कहा कि अगर एजेंसी वेतन भुगतान करने में सक्षम नहीं है, तो उस एजेंसी का ठेका रद़द कर दें। मैं अब इस समस्या को आगे नहीं सुनना चाहती कि किसी कर्मचारी का वेतन भुगतान नहीं हो पा रहा है।
उधर दो साल से पीएफ कटौती करने के बावजूद उसकी कोई जानकारी नहीं होने पर निगम आयुक्त ने जल विभाग के प्रभारी टिल्लु शर्मा से पूछताछ की तो पता चला कि एजेंसी ने आज तक इसका कोई हिसाब किताब निगम में उपलब्ध नहीं कराया है। जबकि इस संबंध में कई बार संबंधित एजेंसी को सूचित किया गया है। निगम आयुक्त ने एजेंसी संचालक को तत्काल प्रभाव से कार्यालय बुलाने के निर्देश जारी किए। यहां मौजूद जल मंत्री नवधा परदेसी मिरी ने भी जल विभाग के कर्मियों के नियमित रूप से वेतन भुगतान कराने की मांग की। इस दौरान महापौर ने निगम आयुक्त से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि हर माह अधिकतम १० तारीख तक निगम के सभी कर्मियों का वेतन भुगतान हो सके।
[aph] पैसे नहीं है, तो क्यों लिया ठेका [/aph] बताया जाता है कि एजेंसी संचालक द्वारा निगम से पैसे भुगतान नहीं होने के कारण वेतन नहीं दे पा रहे हैं। इस पर महापौर और वहां मौजूद कुछ पार्षदों का कहना था कि जब एजेंसी के पास पैसे नहीं थे, तो ठेका क्यों लिया। क्या निगम के पैसों के बदौलत ठेका चलाने का निर्णय लिया था। जब एक महीने का वेतन भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, तो ऐसे एंजेंसी की आवश्यकता नहीं है। इस एजेंसी का ठेका रद्द किया जाना चाहिए।
[aph] जलकर्मी हड़ताल पर [/aph]
सोमवार को निगम कार्यालय खुलते ही सौ की संख्या में जलकर्मी निगम के मुख्य द्वार पर धरने के लिए बैठ गए। इनका कहना था कि उनका दो माह से वेतन नहीं मिला है। दो साल से कटौती के बावजूद पीएफ के पैसों का कोई हिसाब किताब नहीं है। इन कर्मियों का कहना है ऐसे में जब वेतन नहीं मिला तो उनके सामने काम ठप करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। कुछ कर्मियों का कहना था कि बिना काम ठप किए उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं होती है। उनका कहना था कि जब सफाईकर्मियों ने काम ठप किया तो पैसों का भुगतान किया। इसी को देखते हुए हमने भी काम ठप करने का निर्णय लिया है। अब जब तक वेतन का भुगतान नहीं होता है, तब तक काम ठप रहेगा।
[aph] जलकर्मी नहीं जानते एजेंसी का नाम [/aph]
निगम कर्मियों के लिए प्लेसमेंट एजेंसी संचालक किसी रहस्य की तरह हैं। पहले जहां सफाईकर्मी अपने प्लेसमेंट एजेंसी के बार में ज्यादा जानकारी नहीं होने की बात कर रहे थे। यही बात अब जलकर्मियों द्वारा भी कही जा रही है। यहां तक कुछ पार्षद भी नहीं जानते एजेंसी संचालक कौन है। निगम में सिर्फ उनका नाम इस्तेमाल किया जाता है। बहुत पता करने पर एजेंसी संचालक की पहचान जावेद शेख के रूप में की गई।