रायगढ़, 4 सितम्बर 2015/ रायगढ़ जिले की वर्ष 2016-17 की विकेन्द्रीकृत जिला योजना निर्माण के लिए आज यहां सृजन सभाकक्ष में एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन हुआ। यह कार्यशाला जिला प्रशासन एवं राज्य योजना आयोग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की गई थी। इस प्रशिक्षण सह कार्यशाला में जिले के सभी विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों ने भाग लिया। छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग के तकनीकी अधिकारी निरमलेन्दु ज्योतिषी ने जिला योजना निर्माण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जिला योजना निर्माण का उद्देश्य समग्र विकास है। जिले की योजना बनाते समय विकास के प्रति सकारात्मक सोच जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोई भी विभाग अकेला समग्र विकास की कल्पना को साकार नहीं कर सकता। इसके लिए सभी विभागों को मिलकर काम करना होगा। एक विभाग मात्र अपने विभाग से संबंधित योजनाओं एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में विशेषज्ञता रखता है, जबकि आम जनता की समस्या एवं विकास के मामले कई विभागों से संबंधित होते है, इनके निदान के लिए सभी विभागों का एकजुट होकर काम करना जरूरी है। बैठक में जिला योजना निर्माण के नोडल अधिकारी डिप्टी कलेक्टर बी.एस.मरकाम भी मौजूद थे।
तकनीकी अधिकारी श्री ज्योतिषी ने प्रशिक्षण सह कार्यशाला के प्रारंभ में एक-एक कर सभी विभाग के अधिकारियों से उनके विभागीय बजट प्लान में शामिल किए जाने वाले कार्यक्रमों के बारे में जानकारी ली और पूछा कि विभागीय बजट प्लान तैयार करते समय बजट में कितने प्रतिशत की वृद्धि औसत तौर पर प्रावधानित की जाती है। उन्होंने कहा कि विकेन्द्रीकरण जिला योजना निर्माण में गांव और ग्रामीणों की जरूरत को प्राथमिकता से शामिल किया जाना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि गांव में ग्रामीणों से चर्चा-परिचर्चा कर इसका प्लान तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि सभी विभागों का उद्देश्य आम जनता के हित और विकास के लिए काम करना है। उन्होंने जिला योजना का निर्माण करते समय सभी विभागों के अधिकारियों को गांव एवं ग्रामीणों की आवश्यकता पर विशेष रूप से ध्यान देने की बात कही। तकनीकी अधिकारी श्री ज्योतिषी ने बताया कि बीते 13 सालों में छत्तीसगढ़ राज्य के बजट में तेरह गुना से अधिक की वृद्धि हुई है, फिर भी क्षमता और नियोजन की बेहद कमी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि कई विभाग क्षमता निर्माण के लिए प्रावधानित राशि का उपयोग नहीं कर पा रहे है। उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य के ग्रामीण अंचल के 92 प्रतिशत परिवार ऐसे है जिनकी मासिक आय 5 हजार रुपए से कम है। राज्य में मात्र दो से तीन प्रतिशत किसानों के पास खेती-किसानी के लिए कृषि यंत्र जैसे टे्रक्टर, पावर टिलर, रोटा वेटर, थे्रेसर, कल्टीवेटर आदि उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि जिला योजना निर्माण के समय कृषि विभाग के अधिकारियों को इन कमियों को ध्यान में रखना होगा। इसी तरह अन्य विभाग भी अपना प्लान बनाते समय मैदानी हकीकत एवं गांव और ग्रामीणों की जरूरत को ध्यान में रखें। प्रशिक्षण सह कार्यशाला में कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण व्ही.डी.बोपचे, कार्यपालन अभियंता पीएमजीएसवाय श्री भंडारी एवं श्री शर्मा, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास सी.एल.जायसवाल, सहायक आयुक्त आबकारी अरविंद पाटले, उप संचालक समाज कल्याण एन.पी.पटेल, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास अनिता अग्रवाल, जिला जनसंपर्क अधिकारी नसीम अहमद खान, उप संचालक कृषि एम.आर. भगत, उप संचालक रेशम श्री कंवर, शिक्षा, स्वास्थ्य, मत्स्य, उद्यानिकी, जल संसाधन सहित सभी विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।