रायगढ़, 26 अगस्त 2015/ कलेक्टर श्रीमती अलरमेल मंगई डी ने आज दोपहर सृजन सभाकक्ष में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं चिकित्सकों की संयुक्त बैठक लेकर स्वास्थ्य विभाग के कामकाज की गहन समीक्षा की। कलेक्टर श्रीमती मंगई डी ने जिले में शिशु मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर पर चिंता जताते हुए चिकित्सा अधिकारियों को इसमें कमी लाने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि जिले में स्वास्थ्य विभाग के पास बेहतर इंन्फ्रास्ट्रक्चर एवं चिकित्सक व मैदानी अमला उपलब्ध है। इसका सही तरीके से उपयोग होना चाहिए। उन्होंने सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों सहित उप स्वास्थ्य केन्द्रों में जहां प्रसव की सुविधा उपलब्ध है, वहां हर हाल में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि अक्सर यह देखने और सुनने को मिल रहा है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ चिकित्सक संस्थागत प्रसव के मामलों को जिला चिकित्सालय रेफर कर देते है, यह स्थिति ठीक नहीं है। कलेक्टर ने खण्ड स्तर पर पदस्थ चिकित्सकों को पूरी संवेदनशीलता के साथ मरीजों से पेश आने की नसीहत दी। सारंगढ़, खरसिया के सिटी हास्पिटल में मरीजों से अच्छा व्यवहार न करने के संबंध में जिला प्रशासन को मिल रही शिकायत पर भी कलेक्टर ने नाराजगी जताई।
कलेक्टर श्रीमती मंगई डी ने कहा कि रायगढ़ जिले में मातृ मृत्यु दर प्रति हजार 261 तथा शिशु मृत्यु दर 55 है। यह दोनों आंकड़े राज्य के औसत आंकड़े से अधिक है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं चिकित्सकों को इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार करने तथा उपलब्ध संसाधनों का भरपूर उपयोग कर मृत्यु दर में कमी लाने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने बैठक में सारंगढ़ के बीएमओ से सवाल किया कि वहां के सिटी हास्पिटल में जब सिजेरियन ऑपरेशन की व्यवस्था है तो मरीजों को रिफर क्यो किया जाता है? उन्होंने बीएमओ को सारंगढ़ में सिजेरियन ऑपरेशन डिलेवरी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
कलेक्टर ने बैठक में एक-एक कर सभी बीएमओ से उनके ब्लॉकों के उप स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थिति, एएनएम की पदस्थापना एवं संस्थागत प्रसव, भवन एवं संसाधन के बारे में पूछताछ की। उन्होंने कहा कि जिले के अधिकांश सामुदायिक केन्द्रों एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों में संस्थागत प्रसव की व्यवस्था होने के बावजूद भी वहां मात्र 45 से 50 प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो रहे है। ऐसा क्यों है? कलेक्टर ने सारंगढ़ एवं लैलूंगा में संचालित एनआरसी में कुपोषित बच्चों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैय्या कराने की स्थिति की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय में संचालित एनआरसी को छोड़कर दोनों एनआरसी में निर्धारित संख्या से कम बच्चे भर्ती होते है, इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग को कुपोषित बच्चों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए ताकि रोस्टर आधार पर बच्चों को यहां भर्ती कराकर उनके कुपोषण को दूर किया जा सके। कलेक्टर ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को घरघोड़ा, खरसिया एवं धरमजयगढ़ में एनआरसी सेंटर प्रारंभ किए जाने के लिए शासन को प्रस्ताव भिजवाने के निर्देश दिए।
कलेक्टर श्रीमती मंगई डी ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना एवं मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत छूटे हुए परिवारों का स्मार्ट कार्ड बनाए जाने के लिए जिले में संचालित अभियान की भी खण्डवार समीक्षा की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 18 टीमें स्मार्ट कार्ड बनाने का काम कर रही है। कलेक्टर ने सभी खण्ड चिकित्सा अधिकारियों को आगामी 10 दिन की मोहलत देते हुए शत्-प्रतिशत छूटे परिवारों का स्मार्ट कार्ड बनाए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा। इसके लिए खण्ड चिकित्सा अधिकारियों को जनपदों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों, सीडीपीओ, सेक्टर सुपरवाईजर, एएनएम एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से समन्वय स्थापित कर काम करने की नसीहत दी। बैठक में कुष्ठ रोग नियंत्रण, अंधत्व निवारण कार्यक्रम, क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम की प्रगति की भी समीक्षा की गई। बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एच.एस.उरांव, सिविल सर्जन डॉ. वाय.के.शिन्दे, डीपीएम श्री शर्मा सहित खण्ड चिकित्सा अधिकारी एवं ब्लाक प्रोग्राम मैनेजर उपस्थित थे।