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नृत्य की शिक्षा-दीक्षा के लिए एकेडमी खुलनी चाहिए-अंकिता राउत   

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[su_heading]शास्त्रीय नृत्य परंपरा को संरक्षित करने की जरूरत[/su_heading]

Nrity Ki Sikhaरायगढ। ऐतिहासिक चक्रधर समारोह में कार्यक्रम देने के लिए रायगढ़ आई ओडिसी नृत्यांगना अंकिता राउत ने कहा कि ओडिसी नृत्य सबसे प्राचीन जीवित नृत्य रूपों में से एक है। यह नृत्य भगवान श्री कृष्ण को समर्पित भक्ति व श्रृंगार से परिपूर्ण है। यह टेम्पल डांस है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के संवर्धन एवं संरक्षण तथा इसकी विधिवत शिक्षा-दीक्षा के लिए अनुसंधान एकेडमी शुरू किए जाने पर जोर दिया। सुश्री अंकिता राउत ने कहा कि भारतीय नृत्य परंपरा अत्यंत समृद्ध है। इसमें फ्यूजन का समावेश नहीं होना चाहिए। इससे हमारे समृद्ध नृत्य परंपरा लुप्त हो जाएगी।

सुश्री अंकिता राउत के साथ उनकी गुरू एवं माता पूर्णाश्री राउत भी मौजूद थी। सुश्री अंकिता राउत ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान बताया कि ओडिसी नृत्य का आरंभ उड़ीसा के मंदिरों से हुआ। यह मूलत: देवदासियों का नृत्य है। जिसका उल्लेख कोणार्क के सूर्य मंदिर में मिलता है। यह अत्यंत कोमल कवितामय शास्त्रीय नृत्य है, जिसमें उड़ीसा के परिवेश तथा भगवान जगन्नाथ की महिमा का गान किया जाता है। अंकिता राउत की गुरू एवं माता पूर्णाश्री राउत ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य में ओडिसी नृत्य की शिक्षा-दीक्षा के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रायपुर एवं कटक में उनके प्रशिक्षण केन्द्र संचालित है, जहां लगभग 200 बच्चों को ओडिसी नृत्य की शिक्षा-दीक्षा दी जाती है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 1050 में ओडिसी नृत्य को एक नया स्वरूप मिला। इस नृत्य को दो भागों में बांटा जा सकता है।  पहले भाग में शरीर की भाव-भंगिमाओं का उपयोग करते हुए सजावटी पैटर्न सृजित किए जाते है तथा दूसरा भाग अभिनय का होता है। जिसमें हाथ तथा चेहरे की अभिव्यक्तियों को कथानक को समझाने के लिए किया जाता है। पूर्णाश्री राउत ने बताया कि उनकी पुत्री एवं शिष्या अंकिता राउत बीते 8 सालों से उनसे एवं श्री लकी मोहंती से विधिवत ओडिसी नृत्य की शिक्षा प्राप्त कर रही है। अंकिता देश-दुनिया के कई मंचों से अपनी प्रभावी प्रस्तुति दे चुकी है। दक्षिण-अमेरिका एवं उरूग्वे सहित इंडिया फेस्टीवल, खुजराहो तथा बनारस में अंकिता राउत ने कार्यक्रम प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया कि ओडिसी सबसे प्राचीन नृत्य है। यह नृत्य कठिन भी है। इसमें बैकबोन का मूवमेन्ट होता है। अंकिता बचपन से ही ओडिसी नृत्य देखती और सीखती रही है। उन्होंने कहा कि  चक्रधर समारोह के मंच से प्रस्तुति देना अपने आप में किसी भी कलाकार के लिए गौरव की बात है। यहां के लोग कला पारखी और कलाकारों के कद्रदान है।

Tags: raigarh
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