मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित की गई। बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार भ्रष्टाचार के आरोपी शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों (लोक सेवकों) की अनुपातहीन सम्पत्ति को जब्त अथवा राजसात करने के लिए छत्तीसगढ़ विशेष न्यायालय अधिनियम-2015 (विधेयक) के प्रारूप का अनुमोदन किया गया, जिसे विधानसभा के आगामी सत्र में लाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विधेयक भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा लिए गए जीरो टॉलरेंस के संकल्प के तहत लाया जा रहा है। डॉ. रमन सिंह ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि आज की बैठक में इलेक्ट्रॉनिक्स आईटी और आईटी समर्थित सेवाओं में निवेश की नीति वर्ष 2014-19 का तथा छत्तीसगढ़ की राईट ऑफ वे नीति 2015 का भी अनुमोदन किया गया। मुख्यमंत्री ने इलेक्ट्रॅानिक्स आईटी और आईटी समर्थित सेवाओं में निवेश की नीति वर्ष 2014-19 के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ’मेक इन इंडिया की तर्ज पर हमने ’मेक इन छत्तीसगढ’ की कल्पना की है। इसके लिए उद्योग नीति और आईटी नीति में संशोधन जरूरी था। इसी के अन्तर्गत सूचना एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के नाम एवं कार्यक्षेत्र में संशोधन कर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग का गठन किया गया है। राज्य में आईटी हेतु आवश्यक ईको-सिस्टम का निर्माण किया जा चुका है। इसके अन्तर्गत भौतिक, सामाजिक अधोसंरचना,एयर एण्ड टेलीकॉम कनेक्टिविटी,नवीन इलेक्ट्रॉनिक्स ,आईटी नीति एवं एकल खिड़की का निर्माण किया जाएगा।
उद्योग नीति 2014-2019 का अनुमोदन विगत केबिनेट की बैठक में किया जा चुका है। आज की बैठक में इलेक्ट्रॉनिक्स,आईटी और आईटी समर्थित सेवाओं में निवेश नीति 2014-2019 का अनुमोदन किया गया। इस नीति में आईटी डेवलपर, आईटी यूनिट, इलेक्ट्रॉनिक निर्माता, डाटा सेंटर आदि पर फोकस किया गया है। इसमें हमने आईटी सेक्टर में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए कई प्रावधान किए हैं। जिनमें ब्याज अनुदान, स्थायी पूंजी निवेश में प्रोत्साहन, भूमि प्रीमियम, विद्युत शुल्क आदि में प्रोत्साहन अनुदान और छूट की सीमा को बढ़ाया गया है। ब्याज अनुदान वर्तमान नीति में 7 वर्ष तक कुल ब्याज का 75 प्रतिषत और अधिकतम 60 लाख रूपए वार्षिक था। नई नीति में इसे बढ़ाकर 8 वर्ष और कुल दिए गए ब्याज का 75 प्रतिशत तथा अधिकतम एक करोड़ 10 लाख रुपए किया गया है। स्थायी पूंजी निवेश का 50 प्रतिशत अधिकतम 1.50 करोड़ रुपए का प्रोत्साहन प्रावधान किया गया है, जो पहले निवेश का 45 प्रतिशत और अधिकतम 1.40 करोड़ था।
विद्युत शुल्क में 12 वर्षों के लिए अनुदान का प्रावधान किया गया है। यदि किसी आईटी उद्योग में 50 प्रतिशत कर्मचारी छत्तीसगढ़ के मूल निवासी हैं तो निवेशक को 5 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके अलावा अगर निवेषक आगामी वित्तीय वर्ष 2015-16 से निवेश कर उत्पादन शुरू कर देता है तो 5 प्रतिषत अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। प्रस्तावित नीति अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है।
डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ की राईट ऑफ वे नीति 2015 के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सभी ग्राम पंचायतों में ब्रांडबेंड कनेक्टिविटी देने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल ऑप्टीकल फाईबर नेटवर्क बिछाने का कार्य शुरू किया है। पांच वर्ष तक हर ग्राम पंचायत तक पहुंच होगी। वर्तमान में उन्हें सड़कों के किनारे इस कार्य के लिए अलग-अलग भू-स्वामित्व वाले विभागों जैसे लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन, वन, कृषि, नगरीय निकाय आदि से अनुमति लेनी पड़ती है। इंटरनेट हेतु आप्टिकल फाईबर बिछाने के लिए अब अनुमति प्रदान करने की एक ही नीति होगी। अलग-अलग विभागों से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी।
इस नीति के क्रियान्वयन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग नोडल विभाग होगा। सस्ती दरों पर पर्याप्त बेंडविड्थ प्रदान करने के लिए अधोसंरचना विकास किया जा रहा है, ताकि एक ज्ञानवान समाज तैयार हो सके। केबिनेट की आज की बैठक में अनुमोदित नीति इसमें सहायक होगी। नीति के क्रियान्वयन से शहरों एवं राजमार्गों में अनियंत्रित खुदाई से भी राहत मिलेगी। शासकीय कार्यालयों जैसे कलेक्टोरेट, नगरनिगम, तहसील में निःशुल्क कनेक्टिविटी सेवा प्रदाता द्वारा दी जाएगी।
छत्तीसगढ़ विशेष न्यायालय अधिनियम 2015 (विधेयक) के अनुमोदित प्रारूप का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस हमारा संकल्प है। इसके लिए हमने कठोर कानून बनाने का निर्णय लिया है। इसी कड़ी में आज कैबिनेट में विधेयक के प्रारूप का अनुमोदन किया गया। इस विधेयक में लोक सेवकों द्वारा भ्रष्ट साधनों से अर्जित चल-अचल अनुपातहीन सम्पति को जब्त/राजसात करने का प्रावधान किया गया है। विधेयक में कुल 28 धाराएं शामिल की गई हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि इस विधेयक की एक विशेषता यह भी है कि राज्य शासन द्वारा ऐसे लोकसेवकों की अनुपातहीन सम्पति के मामलों की घोषणा की जा सकेगी और इन घोषणाओं को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। विधेयक में ऐसे मामलों के लिए विशेष न्यायालय के गठन का प्रावधान किया गया है, जो इस प्रकार के मामलों की सुनवाई करेगा। इन मामलों का निराकरण एक वर्ष के भीतर किया जाएगा। मामले की जांच के दौरान सम्बधित लोक सेवक की अनुपातहीन सम्पति कुर्क की जा सकेगी, ताकि उसके द्वारा अनुपातहीन सम्पति को अन्य तरीकों से निराकृत करने की आशंका ना रहे।
मुख्यमंत्री ने बताया कि विधेयक में प्रावधान किया गया है कि ऐसे मामलों में सम्पति कुर्क करने की पुष्टि एक माह के भीतर विशेष न्यायालय द्वारा की जाएगी। इसके साथ ही विशेष न्यायालय ऐसे कुर्क/अधिग्रहित सम्पति को प्रबंधन के लिए जिला मजिस्टेªट अथवा उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति को सौंपा जा सकेगा। अपचारी लोक सेवक को विशेष न्यायालय में सुनवाई का समुचित अवसर दिया जाएगा। प्रभावित व्यक्ति द्वारा विशेष न्यायालय के आदेश के विरूद्ध एक माह के भीतर उच्च न्यायालय में अपील की जा सकेगी। इसके अलावा बस्तर और सरगुजा राजस्व संभागों के जिलों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों की स्थानीय भर्ती के लिए वर्तमान में जारी नीति को अगले दो वर्ष के लिए बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया।