रायपुर, 06 फरवरी 2015/ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज सवेरे राजधानी रायपुर में 19वें राष्ट्रीय आरोग्य मेले का दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया। स्थानीय शंकर नगर स्थित बी.टी.आई. मैदान में चार दिवसीय इस मेले का आयोजन केन्द्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार के स्वास्थ्य (आयुष) विभाग और भारतीय उद्योग परिसंघ (फिक्की) के सहयोग से किया गया है। शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता केन्द्रीय आयुष एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाईक ने की। विशेष अतिथि के रूप में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री अमर अग्रवाल और लोकसभा सांसद श्री रमेश बैस उपस्थित थे। मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री सहित सभी अतिथियों ने इस अवसर पर वहां लगायी गई आयुष चिकित्सा प्रणालियों की विशाल प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया, जहां इन प्रणालियों की उपचार विधि की सचित्र जानकारी के साथ-साथ स्वास्थ्य परीक्षण की भी सुविधा दी जा रही है।
मुख्य अतिथि की आसंदी से समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि आयुर्वेद सहित भारत में प्रचलित सभी चिकित्सा पद्धतियों को एक छत के नीचे लाने की जरूरत है, ताकि लोग अपनी मनपसंद चिकित्सा प्रणाली को अपनाकर बीमारियों का इलाज करवा सकें। इसमें एलोपैथी को भी जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के 15 शासकीय जिला अस्पतालों में एलोपैथी के साथ-साथ आयुष विंग की भी स्थापना की है। डॉ. सिंह ने गुड़गांव के प्रसिद्ध मेदांता अस्पताल का भी उदाहरण दिया और बताया कि वहां ऐलोपैथी के साथ-साथ मरीजों के लिए आयुर्वेद चिकित्सा की भी सुविधा दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और अन्य परम्परागत आयुष चिकित्सा प्रणालियों में नये अनुसंधान और शोध पत्रों के प्रकाशन की भी जरूरत बतायी। उन्होंने कहा कि आयुष चिकित्सा प्रणालियों में भारत काफी क्षमतावान है। आज जरूरत हमारी इस क्षमता के समुचित दोहन की है। इन प्रणालियों में हमारे यहां अनुसंधान भी हो रहे हैं। इनकी जानकारी जनता तक पहुंचाया जाना चाहिए।
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि हमारे देश के आयुष विशेषज्ञों को विभिन्न देशों में भेजकर वहां भी आयुर्वेद और आयुष प्रणालियों का अधिक से अधिक प्रचार किया जाना चाहिए। वैसे विगत 15-20 वर्षों में भारत में आयुर्वेद दवाओं की लोकप्रियता काफी बढ़ी है, लेकिन आज भी इन पारम्परिक औषधियों के लगभग 70 प्रतिशत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीन का कब्जा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में अनेक आयुर्वेद कॉलेज और आयुष चिकित्सा संस्थान हैं। उन्होंने इनमें से कम से कम पन्द्रह चिकित्सा संस्थानों को चिन्हांकित कर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रमुख दवा कम्पनियों के साथ जोड़ने का सुझाव दिया। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि इन संस्थानों में अनुसंधान, औषधि उत्पादन और विपणन के लिए इन कम्पनियों के साथ एम.ओ.यू. किया जा सकता है। स्वाइन-फ्लू, सिकलसेल, एड्स जैसी बीमारियों के इलाज के लिए परम्परागत प्रणालियों में भी अनुसंधान की काफी गुजांइश है।
मुख्यमंत्री ने भारत की सर्वाधिक पुरानी चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद का उल्लेख करते हुए कहा कि यह हमारे देश के डी.एन.ए. में रचना बसा है। आयुर्वेद के साथ-साथ अन्य कई परम्परागत चिकित्सा प्रणालियां भी हमारे देश में प्रचलित हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि आयुर्वेद केवल इलाज की नहीं बल्कि व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए दिनचर्या और ऋतुओं के अनुसार आहार चर्या के साथ सुदीर्घ जीवन जीने की कला सिखाने की भी पद्धति है। राज्य के जंगलों में जड़ी-बूटियों का अकूत प्राकृतिक भंडार है। हर्रा, बहेड़ा, आंवला जैसी बहुमूल्य वनौषधियों का उत्पादन हमारे यहां के वनों में होता है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किए जाने का भी उल्लेख किया और कहा कि इससे भारत का गौरव बढ़ा है।
अध्यक्षीय आसंदी से केन्द्रीय आयुष एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के महत्व को ध्यान में रखकर नवम्बर 2014 में ‘आयुष’ को एक अलग विभाग का दर्जा दिया है। प्रधानमंत्री देश की पुरानी चिकित्सा पद्धतियों को पुनर्जीवित करने और उन्हें जनता के लिए अधिक से अधिक उपयोगी बनाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। आयुष को आधुनिक चिकित्सा व्यवस्था की मुख्य धारा से जोड़ा जा रहा है। श्री नाइक ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा नई स्वास्थ्य नीति जल्द लायी जाएगी, जिसमें आयुष चिकित्सा प्रणालियों की भी बड़ी भूमिका होगी। इन प्रणालियों के कार्य क्षेत्र को पुनः परिभाषित किया जा सकेगा। केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री ने कहा कि उनके मंत्रालय द्वारा देश भर में आरोग्य मेलों का आयोजन किया जा रहा है। अब तक 35 राज्य स्तरीय और 18 राष्ट्रीय आरोग्य मेले आयोजित किए जा चुके हैं। रायपुर में यह 19वां राष्ट्रीय आरोग्य मेला है। इसके बाद यह राष्ट्रीय मेला जयपुर (राजस्थान) और भुवनेश्वर (ओड़िशा) में लगाया जाएगा।
विशेष अतिथि की आसंदी से छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्री अमर अग्रवाल ने कहा कि केन्द्र और राज्य दोनों मिलकर आयुष चिकित्सा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्होंने इस बात पर खुशी जतायी कि छत्तीसगढ़ सरकार के ‘आयुर्वेद ग्राम’ की परियोजना को केन्द्र सरकार ने भी अपनाया है और उसे ‘आयुष ग्राम’ के रूप में पूरे देश में लागू किया जा रहा है। श्री अग्रवाल ने कहा कि आयुष ग्राम की परिकल्पना केवल जड़ी-बूटियांे की पहचान और लोगों को उनकी जानकारी देने तक सीमित नहीं है, बल्कि आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या और खान-पान अपनाने तथा योगाभ्यास करने के लिए भी लोगों को प्रेरित करना है। उन्होंने कहा कि इलाज के साथ-साथ लोगों को स्वस्थ कैसे रहा जाए, इसके लिए लोगों को जागरूक करना भी आयुष का उद्देश्य है। श्री अमर अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आयुष को अलग विभाग और पहचान देकर पूरे देश में आयुर्वेद, होम्योपैथी और अन्य परम्परागत चिकित्सा प्रणालियों को लोकप्रिय बनाने की एक नई शुरूआत की है। लोकसभा सांसद श्री रमेश बैस ने कहा कि भारत में आयुर्वेद का महत्व रामायण के युग से है। उन्होंने लक्ष्मण जी की बेहोशी दूर करने के लिए सुषेण वैद्य द्वारा संजीवनी बूटी से उपचार किए जाने का उदाहरण दिया। श्री बैस ने कहा कि आधुनिक भारत में अब तक एलोपैथी को ही श्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति माना जाता था, लेकिन अब विगत कुछ वर्षों में आयुर्वेद सहित आयुष की अन्य प्रणालियों में भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। इस अवसर पर राज्य सभा सांसद डॉ. भूषण लाल जांगड़े, छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, आयुष विभाग के संचालक डॉ. जी.एस. बदेशा, भारत सरकार के आयुष विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. अनिल गनेरीवाल और अन्य अनेक अधिकारी, विभिन्न आयुष कॉलेजों के विद्यार्थी और प्राध्यापकों सहित बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।