कन्या छात्रावासों में बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित
रायगढ़ । कलेक्टर श्रीमती अलरमेलमंगई डी ने आज सृजन सभाकक्ष में आश्रम एवं छात्रावास अधीक्षकों की समीक्षा बैठक लेते हुए सभी अधीक्षकों को छात्रावास में ही रहने के सख्त निर्देश दिए। साथ ही आश्रम एवं कन्या छात्रावासों में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर पूर्णत: प्रतिबंध करते हुए इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि छात्रावास अधीक्षक के बारे में कही से भी कोई शिकायत मिलती है तो संबंधित अधीक्षकों के ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बच्चों के भविष्य के साथ कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
कलेक्टर ने कहा कि आए दिन आश्रम एवं छात्रावासों के बारे में शिकायत मिलती रहती है कि वहां बच्चों को गुणवत्ताहीन भोजन दिया जाता है, इसके साथ ही छात्रावासों में गंदे बिस्तर, तकिये, बेडशीट, चादरे की साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है यह स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि बच्चों की संख्या के आधार पर शासन के तरफ से बच्चों के लिए सारी बुनियादी सुविधाएं एवं उनकी जरूरत की चीजों के लिए राशि स्वीकृत की जाती है लेकिन इन राशियों का शत-प्रतिशत उपयोग बच्चों के ऊपर नहीं किया जाता है इस पर सुधार लावे। उन्होंने अधीक्षकों को आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए कहा कि यदि आपके छात्रावासों में किसी बच्चे की अचानक तबीयत खराब होती है तो तत्काल चिकित्सकों से संपर्क कर बच्चों का ईलाज कराए इस पर कोताही बिल्कुल भी न करें, क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों की जिम्मेदारी अधीक्षकों के ऊपर छोड़कर जाते है और अधीक्षकों की पूर्ण जिम्मेदारी है कि वे बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा एवं स्वच्छता पर विशेष ध्यान रखें।
कलेक्टर ने अधीक्षकों को निर्देश देते हुए कहा कि छात्रावासों की साफ-सफाई के साथ ही शौचालयों की भी नियमित रूप से सफाई करवाएं। यदि किसी छात्रावास में शौचालय की स्थिति ठीक नहीं है तो इसकी जानकारी बनाकर सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग में शीघ्र प्रस्तुत करें, ताकि शौचालय का सुदृढ़ीकरण किया जा सके। उन्होंने अधीक्षकों को बच्चों की पढ़ाई के साथ ही उनकों संस्कारों से परिपूर्ण करें एवं बच्चों के लिए कैरियर काऊंसिलिंग, मोरल साईंस, पर्सनालिटी डेव्लपमेन्ट के बारे में समय-समय पर मार्गदर्शन देते रहे, जिससे बच्चों को आगे बढऩे का मौका मिलेगा और वे अपनी रूचि के अनुसार नये-नये बातों को अनुशरण कर समाज के लिए एक मिसाल कायम करेंगे। उनको समय-समय पर शिक्षा के साथ ही नवाचार के बारे में जानकारी देते रहे। बैठक में उन्होंने अधीक्षकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि यदि कोई अधीक्षक अपने आश्रम एवं छात्रावासों में कोई प्रेरणा स्त्रोत कार्य करते है तो उनको 15 अगस्त और 26 जनवरी में प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जाएगा।
कलेक्टर ने अधीक्षकों को कहा कि छात्रावासों के खाद्य भंडारण गृह में खाद्य सामग्री के अलावा और कोई अनावश्यक सामग्री न रखें। इसके साथ ही खाना बनाने वाले रसोईयों को भी विशेष रूप से निर्देशित करें कि खाना बनाते समय बर्तनों की साफ-सफाई के साथ ही खाना बनते तक रसोईयां वहीं उपस्थित रहे और बच्चों को ताजा एवं शुद्ध खाना ही परोसे, इसका विशेष ध्यान रखा जाए। एक्सपायरी डेट वाले खाद्य सामग्री का प्रयोग बिल्कुल ही न करें। उन्होंने अधीक्षकों को कहा कि बच्चों के साथ भावनात्मक रूप से जुडऩे का प्रयास करें ताकि बच्चे आपको अपने मन की बात कह सके। आश्रम एवं छात्रावासों में प्रत्येक माह निगरानी समिति की बैठक अनिवार्य रूप से आयोजित करें एवं बैठक की कार्यवाही विवरण की पंजी संधारित करना सुनिश्चित करें। इस अवसर पर आदिवासी विकास के सहायक आयुक्त श्री सी.एल.जायसवाल, सहायक संचालक पटेल, विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी, आश्रमों एवं छात्रावासों के अधीक्षक उपस्थित थे।