रायगढ़ – महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भले ही पुलिस गंभीर हो, लेकिन उससे जुड़े अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। धरमजयगढ़ के नागदरहा जंगल में पहली बार किसी महिला के सिर में गोली मारी गई थी। वहीं दूसरे मामले में खरसिया की मांड नदी में युवती को जलाकर रेत में दबा दिया गया था। पुलिस के लिए दोनों मामले अब तक अबूझ बने हुए हैं। बताया जाता है कि दोनों महिलाओं की अब तक शिनाख्ती भी नहीं हो पाई है। यही वजह है कि पुलिस फाइल में दोनों मामले दबे गए हैं।
15 फरवरी 2014 को धरमजयगढ़ नागदरहा के घने जंगल में अज्ञात महिला के सिर में गोली मार घायल करने के बाद आरोपियों का मौके से भाग जाना सोची समझी साजिश दिखती है। पुलिस के अनुसार मृतक महिला स्थानीय नहीं थी, लिहाजा आज तक उसकी शिनाख्ती भी नहीं हो पाई है। वहीं दूसरे मामले में खरसिया पुलिस ने अक्टूबर 2014 में मांड नदी की रेत में एक अधजली लाश बरामद की थी। पुलिस का मानना है कि जिस तरीके से महिला का शव बरामद हुआ, उससे ज्ञात होता है कि महिला ने खुद को रेत में गाड़कर अपने ऊपर आग लगाई थी। हालांकि पुलिस ये भी मानती है कि उसकी हत्या कर आरोपियों ने ही उसे जलाया हो और रेत में दबा दिया हो। बहरहाल मामले में पुलिस ने कोई अहम सुराग नहीं मिला, जिससे मृतका की पहचान नहीं हो सके। इस प्रकार दोनों ही मामले पुलिस के लिए आज तक अबूझ पहेली बनी हैं और पुलिस न उनका खात्मा कर पा रही है और न ही ठोस सबूत ढूंढ पा रही है।
श्वेता मामले में भी गंभीर नहीं पुलिस
अक्टूबर 2011 में केलो डायवर्सन मार्ग पर ओपी जेआईटी की छात्रा श्वेता जांगड़े की अधजली लाश बरामद हुई थी। मामले की प्रारंभिक जांच के बाद पुलिस ने इसे हत्या से जोड़कर देखा था, बावजूद पुलिस का मौन समझ से परे है। ज्ञात हो कि पुलिस द्वारा भले ही दो अन्य मामलों में महिलाओं की शिनाख्ती नहीं कर पाई, मगर ओपी जेआईटी की छात्रा की पहचान होने के बाद भी मामला अनसुलझा है।