[su_pullquote]पिछले चार दिनों के भीतर दो दिन हुई तेज बारिश से समर्थन मूल्य पर खरीदा गया धान संग्रहण केंद्रों में बारिश में भीग रहा है। अपनी गलती छिपाने के लिए विपणन संघ भीगे धान के बोरों को केप-कवर से ढंक रहा है, जिससे धान में जड़ी आने की पूरी संभावना है। इधर, फूड विभाग खाना पूर्ति के लिए महज उन राइसमिलरों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है जो कस्टम मिलिंग कर चावल जमा नहीं कर रहे हैं।[/su_pullquote]
जबकि अभी भी जिले के तीन संग्रहण केंद्रों में सवा 6 लाख क्विंटल धान जाम पड़ा हुआ है। मौसम विभाग रायपुर की माने तो 5 जून को केरल में मानसून प्रवेश करने वाला है। इसके बाद दो तीन दिनों के भीतर छत्तीसगढ़ में प्री मानसून शुरू हो जाएगा। जबकि जिला प्रशासन द्वारा राइसमिलरों को 30 जून तक धान उठाव करने का समय दिया गया है। ऐसे में प्री मानसून के साथ साथ 15 जून तक छत्तीसगढ़ में मानसून के प्रवेश करने से संग्रहण केंद्रों में रखे धान भींग कर धान की बोरियों में जड़ी आना स्वभाविक है। इससे शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान हो सकता है।
जिले में इस साल करीब 36 लाख मिट्रिक टन धान की खरीदी समिति केंद्रों के माध्यम से किसानों से की गई। इस धान को जिले के पांच संग्रहण केंद्रों में रखा गया था। इसमें से अभी भी बरमकेला, लोहरसिंह और सारंगढ़ के हरदी में सवा 6 लाख क्विंटल धान उठाव शेष है। खाद्य निगम के गोदामों में चावल रखने की जगह नहीं है, इसलिए मिलरों ने संग्रहण केंद्रों से धान का उठाव ही नहीं किया है। उठाव की गति बेहद धीमी है, जिसका नतीजा बारिश शुरू होने के बाद देखा जा रहा है।
मानसून के आने के साथ ही जिले में तेज बारिश हो रही है। रविवार व बुधवार को करीब 150 मिमी बारिश रिकार्ड की गई है। आसमान पर अब भी बादलों ने डेरा जमा रखा है और मौसम विभाग ने तेज बारिश की संभावना जताई है, लेकिन इसकी परवाह विपणन संघ के अधिकारियों-कर्मचारियों को नहीं है। संग्रहण केंद्रों में रखे धान को बारिश से बचाने के ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं, जिसके कारण धान बारिश में भीगकर खराब हो रहा है। धान में जर्मीनेशन तक की स्थिति आ गई है। विपणन संघ के अधिकारी-कर्मचारी दफ्तर में बैठकर पंखे की हवा ले रहे हैं और संग्रहण केंद्रों में बारिश से भीगने के बाद धान को केप-कवर से ढंका जा रहा है।