स्वच्छता के लिए समर्पण भाव से जुट जाने का आव्हान
रायगढ़, 22 अगस्त 2015/ बिलासपुर संभाग के कमिश्नर श्री सोनमणि बोरा ने कहा है कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत गांवों को साफ-सुथरा एवं खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) बनाने के लिए संचालित स्वच्छता अभियान पंचायत पदाधिकारियों विशेषकर सरपंचों, पंचों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इतिहास रचने और अपने कार्यकाल को स्वर्णिम बनाने का अवसर मुहैय्या करा रहा है। इस अभियान को सच्चे मन से और समर्पित भाव से अपनाकर सरपंच एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि अपने कार्यकाल को अविस्मरणीय बना सकते है। सदियों से चली आ रही खुले में शौच करने की लोगों की आदत में बदलाव लाने तथा अपने गांवों को स्वच्छ एवं निर्मल गांव बनाने का अवसर इस अभियान के जरिए वर्तमान पंचायत पदाधिकारियों को मिला है। गांव का मुखिया होने के नाते आप सब इतिहास रचने के इस स्वर्णिम अवसर को हाथ से न जाने दें।
संभागायुक्त श्री बोरा 21 अगस्त को रायगढ़ के जिंदल ऑडिटोरियम में स्वच्छता सप्ताह के समापन अवसर पर जिले के सरपंचों एवं स्वच्छता दूतों के लिए आयोजित ओडीएफ कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। श्री बोरा ने आगे कहा कि स्वच्छता अभियान माताओं एवं बहनों के अस्मिता, सम्मान व स्वाभिमान का अभियान है। सरपंच होने के नाते अपने गांव के गौरव एवं सम्मान के लिए घर-घर में शौचालय का निर्माण एवं उसका उपयोग सुनिश्चित कराने के लिए जी-जान से जुट जाए। सभी वर्ग एवं समुदाय के लोगों को इससे जोड़े। स्वच्छता अभियान को जन आंदोलन का रूप ले और अपने गांव को स्वच्छ एवं निर्मल बनाए। श्री बोरा ने कहा कि हो सकता है दोबारा ऐसा अवसर हाथ न आए। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित सरपंचों, सचिवों, साक्षरता प्रेरकों एवं स्वच्छता दूतों को इस अभियान से गांव के स्कूली बच्चों विशेषकर माध्यमिक एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल के छात्र-छात्राओं को जोडऩे का आव्हान किया। उन्होंने सरपंचों को गांवों में स्वच्छता का वातावरण निर्माण के लिए शिक्षकों, मितानिनों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं की भी मदद लेने की बात कही। श्री बोरा ने कहा कि स्वच्छता अभियान के अंतर्गत गांवों को खुले में शौच के अभिशाप से मुक्ति दिलाने का अभियान है। उन्होंने इस अभियान से जुड़े लोगों विशेषकर सरपंचों से इस अभियान को सफल बनाने के लिए ब्रांड एम्बेसडर की भूमिका निभाने की अपील की।
संभागायुक्त श्री बोरा ने इस मौके पर रायगढ़ जिले में संचालित स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि यहां स्वच्छता की बयार बह रही है। आप सब की खुशी और इस अभियान से जुड़ाव को देखते हुए मुझे यह आभास हो गया है कि रायगढ़ जिला स्वच्छता के मामले में राज्य ही नहीं अपितु देश का अग्रणी जिला होगा। श्री बोरा ने सरपंचों को स्थानीय स्तर पर इसके लिए प्रचार-प्रसार के नवाचार को अपनाने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि त्रिफरा में संचालित नेत्रहीन स्कूल के बच्चों ने स्वच्छता अभियान के संबंध में एक सुंदर गीत को रचा और गाया है। इस गीत को प्रदेश में सराहा गया है। इसी तरह का प्रयास रायगढ़ जिले में भी किया जा सकता है। स्थानीय गीतकारों एवं कला मंडलियों की मदद से जन चेतना जागृत करने के लिए गीत, कविता की रचना की जा सकती है। श्री बोरा ने कार्यशाला में उपस्थित लोगों को स्वच्छता की शपथ दिलाई और रायगढ़ जिले को दो वर्ष के भीतर स्वच्छ जिला बनाने का आव्हान किया।
कार्यशाला को जिला पंचायत के अध्यक्ष श्री अजेश पुरूषोत्तम अग्रवाल एवं उपाध्यक्ष श्री नरेश पटेल ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि स्वच्छता अभियान में पंचायत पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों का सक्रिय सहयोग जरूरी है। समर्पण भाव से काम करके ही इस अभियान को सफल बनाया जा सकता है। सम्मान जनक जीवन एवं अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता जरूरी है। उन्होंने रायगढ़ जिले को स्वच्छ जिला बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयास की सराहना की और जन सामान्य से इस अभियान को सफल बनाने का आव्हान किया। कलेक्टर श्रीमती अलरमेल मंगई डी ने बताया कि बीते मार्च माह से अब तक रायगढ़ जिले में 23 गांव खुले में शौच मुक्त हो चुके है। 75 गांव ओडीएफ होने की ओर अग्रसर है। कलेक्टर श्रीमती मंगई डी ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य सिर्फ शौचालय का निर्माण नहीं बल्कि लोगों के आदत में बदलाव लाना है। उन्होंने इस मौके पर सरपंच गणों विशेषकर ग्रामीण जनों से अपील की कि वह आगामी रक्षाबंधन त्यौहार के उपलक्ष्य में माताओं एवं बहनों के सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपने-अपने शौचालय का निर्माण कराकर उन्हें एक अनुपम सौगात दें। कार्यशाला में सरपंचों एवं स्वच्छता दूतों ने भी अपने अनुभव बांटे। ओडीएफ पंचायत भकुर्रा के सरपंच ने बताया कि उनके गांव एवं ग्रामीणों के स्वच्छता कार्यक्रम से प्रेरित होकर तिलाईदहरा गांव के लोगों ने अपने गांव को खुले में शौच से मुक्त गांव बनाया है। उन्होंने कहा कि गांवों को साफ-सुथरा और निर्मल बनाना अच्छा काम है। अच्छे काम में परेशानी भी आती है, परंतु इससे हताश होने की जरूरत नहीं है। धीरे-धीरे लोग इसे अपनाते है जब सफलता मिलती है तब बेहद खुशी होती है। ।