[su_heading size=”18″ margin=”10″]सावित्री नगर रोड नामकरण का मामला[/su_heading]
रायगढ़। सावित्री नगर रोड में गोविन्द अग्रवाल द्वारा अपनी माता सावित्री देवी के नाम पर ग्लो साईन बोर्ड लगाये जाने को लेकर कांग्रेस द्वारा खोले गये विरोध के मोर्चे पर संदेह की उंगली उठनी प्रारंभ हो गई है। निगम में कांग्रेस महापौर जेठुराम मनहर के कार्यकाल के दौरान बकायदा ओपी जिंदल मार्ग के नामकरण की अनुमति दी गई थी। वहीं सर्किट हाऊस रोड तिहारे का नामकरण स्व. राजा ललित सिंह के नाम पर किये जाने की मांग लंबे समय से उठती रही लेकिन कभी भी कांग्रेस ने इसका समर्थन नहीं किया। कुछ मामलों में फं्र ट फु ट में आकर विरोध करने और कुछ मामलों में मौन रहने से जनता के मध्य पार्टी की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस में एक वर्ग विरोध एक खास वर्ग के पीछे आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिये मोर्चा खोला हुआ है जिसका प्रभाव शहर की राजनीति में भी आने वाले दिनों में पड़ सकता है। दस्तावेजी जानकारी के अनुसार रेल्वे मालधक्का से ट्रांसपोर्ट नगर को जोडऩे वाली बाईपास सडक़ में बहुत कुछ हिस्सा समाजसेवी गोविन्द अग्रवाल का था। गोविन्द अग्रवाल के सहयोग के बिना इस अहम बाईपास सडक़ का निर्माण संभव नहीं हो पाता। तात्कालिक जिलाधीश सुबोध कुमार सिंह की सार्थक पहल पहल पर गोविन्द अग्रवाल अपनी निजी हक की बहुमूल्य जमीन सार्वजनिक बाईपास सडक़ निर्माण हेतु दान देने के लिये राजी हुए। सन 2004 को समाज सेवी गोविन्द अग्रवाल द्वारा दिये गये पत्र पर गंभीरता से विचार करते हुए नगर पालिक निगम तात्कालिक आयुक्त ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बाजीराव महरा पारा से ट्रांसपोर्ट नगर तक निर्मित होने वाले बाईपास सडक़ की अधिकांश भूमि गोविंद अग्रवाल की निजी जमीन मानते हुए उक्त मार्ग का नामकरण गोविन्द अग्रवाल की माता सावित्री देवी के नाम पर सावित्री देवी मार्ग नपा अधिनियम 1956 की धारा 337 के तहत नामकरण करने की विधिवत सूचना दी। समाजसेवी गोविन्द अग्रवाल द्वारा करोड़ो रूपयों की बेशकीमती मूल्य की जमीन अपनी माता के नामकरण की शर्ते पर नि:शुल्क दान की थी। दस वर्ष पश्चात अचानक इस मामले को लेकर कांग्रेस के पेट में दर्द उठने का कारण आम जनता के समझ से परे है। दानवीर सेठ किरोड़ीमल द्वारा दान दी गई बेशकीमती जमीनों पर जनहित के लिये निर्मित चिकित्सालय कालोनी, धर्मशाला, स्कूल, कुओं का नामकरण आज भी सेठ किरोड़ीमल के नाम पर प्रासंगिक है। विरोध का झंडा बुलंद करने के मामले में सिद्धहस्त कांग्रेसी क्या इन मुद्दो को लेकर भी विरोध का स्वर पुरजोर करेंगे। क ांगे्रस की इस विरोध की राजनीति का समाजसेवियों सहित बुद्धिजीवियों में तीखी प्रतिक्रिया है। आज जनता के लिये मुक्त दान देने वाले समाजसेवियों के प्रयासों को ऐसे विरोध से भविष्य गहरा धक्का लगेेगा तथा लोगों सार्वजनिक हित के लिये दान देने से मुंह मोड़ेंगे। समय रहते कांग्रेस को इस बात का भी चिंतन करना चाहिये क्या व्यक्तिगत विरोध और निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिये तो कहीं पार्टी का कंधे का इस्तेमाल तो नही किया गया।