[aps] बच्चों के मामलों में पुलिस अधिकारियों से संवेदनशीलता से काम करने की अपील [/aps] रायगढ़ : छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष श्रीमती शताब्दी सुबोध पाण्डेय ने आज यहां पुलिस कंट्रोल रूम में पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों एवं थाना प्रभारियों की संयुक्त बैठक लेकर लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम पर विस्तार से चर्चा की। श्रीमती शताब्दी पाण्डेय ने कहा कि बच्चों का लैंगिक शोषण बहुत गंभीर अपराध है इसकी रोकथाम के लिए पुलिस अधिकारी तत्परता से प्रभावी कार्रवाई करें। बैठक में एडिशनल एसपी श्री प्रफुल्ल ठाकुर, सीएसपी अशोक वाडेगावकर सहित अन्य पुलिस अधिकारी एवं जिले के सभी थानों के निरीक्षक एवं प्रभारी मौजूद थे।
[su_frame][/su_frame]अध्यक्ष श्रीमती पाण्डेय ने कहा कि लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 लागू है। इस अधिनियम के तहत बच्चों का लैंगिक शोषण करना या करवाना लैंगिक शोषण का प्रयास करना या करवाना तथा अश्लील साहित्य हेतु बच्चों का उपयोग करना या करवाना गंभीर अपराध है. यह अपराध और ज्यादा गंभीर तब हो जाता है जबकि यह अपराध बच्चे के संरक्षक द्वारा किया जाता है। श्रीमती पाण्डेय ने कहा कि बच्चे के संरक्षक द्वारा लैंगिक अपराध करना या करवाने की स्थिति में आजीवन कारावास या कम से कम 10 वर्ष की कैद का प्रावधान है। यह अधिनियम बालक एवं बालिकाओं पर समान रूप से लागू होता है अर्थात बालक या बालिका जो 18 वर्ष से कम उम्र के है उनका लैंगिक शोषण होने पर इस कानून की धाराएं लागू होंगी। श्रीमती पाण्डेय ने आगे कहा कि इस कानून के तहत बच्चों की पहचान प्रकट करने वाली किसी भी सूचना को मीडिया द्वारा प्रकट करना प्रतिबंधित किया गया है। बच्चों का लैंगिक शोषण की घटनाओं को छुपाना या सूचना न देना भी अपराध माना गया है और इसके लिए 6 माह से एक वर्ष तक की कैद का प्रावधान है।
[aps] बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि बच्चों के अधिकारों का हनन होने पर कोई भी व्यक्ति आयोग को शिकायत कर सकता है। आयोग ऐसे मामलों में स्वप्रेरणा से भी काम करता है [/aps] श्रीमती पाण्डेय ने इस मौके पर यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग प्रत्येक जिले में पुलिस अधिकारियों की बैठक लेकर बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए की गई कार्रवाई तथा गुमशुदा बच्चों की पतासाजी कर उनके परिवार को सौंपे जाने की स्थिति की समीक्षा कर रही है। आयोग द्वारा राज्य के प्रत्येक जिलों के थाना प्रभारियों से अपने-अपने ईलाके में बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए तत्परता एवं संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई करने की अपील की है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को इस मामले में किसी भी तरह की उदासीनता या ढिलाई न बरतने की बात कही। श्रीमती पाण्डेय ने कहा कि गुमशुदा बच्चों के मिलने पर बाल सदन या महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंपा जाना चाहिए। बैठक में एडिशनल एसपी श्री ठाकुर ने बताया कि जिले में गुमशुदा 19 बच्चों की पतासाजी कर उन्हें उनके अभिभावक को सौंपा गया है।