खरसिया – खरसिया महात्मा गांधी महाविद्यालय में दिनांक 13/04/2015 को सांध्य पाली में आयोजित एम कॉम पुर्व एवं एम ए पुर्व की परीक्षा में खरसिया कॉलेज में क्लर्क के रूप में पदस्थ सुरेन्द्र मेहरा की पुत्री मीरा मेहरा के द्वारा परीक्षा कक्ष में नक़ल करते वक़्त नक़ल सामाग्री पकडे जाने पर परीक्षा ड्यूटी में तैनात डॉक्टर सुशीला गोयल के द्वारा मामले को रफा दफा करने की कोशिश करने पर अन्य छात्र – छात्राओं ने नक़ल प्रकरण बनाये जाने की मांग को लेकर हंगामा खड़ा कर दिया।
[pullquote-left] प्राप्त जानकारी अनुसार शासकीय महात्मा गांधी महाविद्यालय खरसिया में लगभग 2 हजार छात्र – छात्राएं नियमित एवं स्वाध्यायी मिलाकर परीक्षा दिला रहे हैं [/pullquote-left] जिसके अंतर्गत 3 पाली में परीक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में कल तीसरे पाली की परीक्षा 3 बजे से 6 बजे के बिच आयोजित की गई थी, जिसमे एम कॉम पुर्व एवं एम ए पुर्व समाज शास्त्र सहित बी कॉम 1र्स्ट ईयर, एम ए पुर्व इतिहास, एम ए अंतिम इतिहास, एम ए अंतिम अर्धशास्त्र, एम ए पुर्व समाज शास्त्र आदि के परीक्षार्थी परीक्षा दिला रहे थे. इसी बिच एक परीक्षा कक्ष में खरसिया कॉलेज के क्लर्क सुरेन्द्र मेहरा की पुत्री मीरा मेहरा जो की एम कॉम पुर्व फाइनेंसियल मैनेजमेंट का परीक्षा दिला रही थी जिसे नक़ल कराने के उद्देश्य से नक़ल सामाग्री चौकीदार शौकिलाल बरेठ के माध्यम से दी जा रही थी। जिसके नीचे गिर जाने के कारण अन्य परीक्षार्थियों की नजर पड गई। उक्त नक़ल सामग्री को मीरा मेहरा को उठाते देख परीक्षा कक्ष के प्रभारी प्रोफिसर डॉक्टर सुशीला गोयल एवं प्रोफ़ेसर कश्मीर एक्का के द्वारा पकड़ा गया एवं छात्रा को भविष्य में नक़ल न मारने की समझाइश देकर छोड़ने का प्रयाश किया जाने लगा, जिस पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए परीक्षा दिला रहे अन्य विद्यार्थियों ने नक़ल प्रकरण बनाये जाने की मांग को लेकर हंगामा खड़ा कर दिया। चूँकि उक्त मामला कॉलेज में बतौर क्लर्क काम करने वाले सुरेन्द्र मेहरा की बेटी से जुड़े होने के कारण विद्यालय स्टाफ मात्र समझाइश देकर मामले का निपटारा करना चाहता था, जिस पर एन एस यू आई के छात्र दिग्विजय सिंह, नागेश सिंह, बादल सिंह, गोपाल मेहर, लालू राठौर सहित दर्जनों युवकों ने नक़ल प्रकरण बनाने की मांग को लेकर हंगामा खड़ा कर दिया। जिस पर तत्काल कार्यवाही न होने से उस कक्ष में परीक्षा दिला रहे अधिकतर छात्रों ने परीक्षा का बहिस्कार कर दिया ।
[pullquote-left] मीडिया को देख बेहोश हुई प्रोफ़ेसर [/pullquote-left] मामले की खबर जब मीडिया को लगी तो कॉलेज पहुंचकर पूछताछ करने पर पहले तो परीक्षा कक्ष प्रभारी प्रोफ़ेसर डॉक्टर सुशीला गोयल को तबियत खराब होने का नाटक करते हुए गिर पड़ी, जिन्हें बेहोश बताकर संस्कार हॉस्पिटल लेजाया गया, तब मामले के सम्बन्ध में जानकारी लेने केंद्राध्यक्ष डॉक्टर श्रीमती रविन्द्र चौबे से पूछताछ की गई तो पहले तो अपने साथी प्रोफ़ेसर एवं स्टाफ का बचाव करते हुए किसी भी प्रकार का नक़ल चलने की बात से इनकार कर दिया गया। बाद में मीडिया कर्मियों के सामने जब छात्रों ने दोबारा हंगामा शुरू किया तब बड़े मुश्किल से महाविद्यालय स्टाफ की पुत्री के विरुद्ध बड़े मुश्किल से नक़ल प्रकरण बनाया गया।
[pullquote-left] मीडिया के सामने रोने लगी केंद्राध्यक्ष श्रीमती चौबे [/pullquote-left] लगभग 4 बजे नक़ल सामाग्री जब्त किये जाने के बावजूद परीक्षार्थी को पहले तो घर भगा दिया, फिर मामले को 7 बजे तक टालने का प्रयाश किया गया, जिस पर उपस्थित पत्रकारों द्वारा नक़ल पकड़ाने के 3 घंटे बाद भी नक़ल प्रकरण नहीं बनाने एवं सामूहिक नक़ल कराये जाने के सवाल पर केंद्राध्यक्ष डॉक्टर श्रीमती रविन्द्र चौबे पहले तो फफक-फफक कर रोने लगी बाद में मीडिया कर्मियों के सामने बड़ी मुश्किल से 7.30 बजे मीरा मेहरा का नक़ल प्रकरण बनाया गया । वही श्रीमती चौबे ने 4 परीक्षा कॉपी गायब होने की बात कहते हुए उक्त कॉपियों को वापस जमा करने की बात कहते एवं गिड़गिड़ाते हुए विद्यार्थियों के सामने रोने लगी की यदि उक्त परीक्षा कॉपी जमा नहीं होने पर मेरी नौकरी चली जायेगी । पहले तो केंद्राध्यक्ष परीक्षा कॉपी गायब होने की बात पर अड़ी रही, उसके कुछ देर बाद ही नाटकीय ढंग से परीक्षा कॉपी वापस जमा हो जाने की बात कही।
[pullquote-left] नक़ल प्रकरण बनने पर हंगामा हुआ शांत [/pullquote-left] 3 घंटे के हो – हंगामे के बाद कॉलेज छात्र संघ की अध्यक्ष ज्योति सिंह एवं अन्य अभाविप के छात्र नेताओं के द्वारा भी कॉलेज में नक़ल पकडे जाने की बात को सही ठहराते हुए कार्यवाही की मांग करने पर जब नक़ल प्रकरण तैयार किया गया तो बड़े मुश्किल से रात्रि लगभग 8 बजे नाटकीय ढंग से हंगामे का अंत हुआ। इसी बीच कुछ छात्रों ने बताया की महाविद्यालय के प्राध्यापकों के द्वारा खुलेआम अपने चहेतों को नक़ल मारने की इजाजत दी जाती है, जबकि अन्य छात्र – छात्राओं के ऊपर मामला बनाया जाता है। इस दोहरे मापदंड के कारण ही आज छात्रों के द्वारा हंगामा किया गया था।
इस सम्बन्ध में महाविद्यालय के प्राचार्य श्री धृतलहरे से बात की गई तो इनके द्वारा कहा गया की आपस का मामला है, इसे अखबारों में प्रचारित करने की बजाय कुछ ले देकर मैनेज कर लीजिये। इससे साफ़ पता चलता है की कॉलेज में सामूहिक नक़ल का खुला खेल प्राचार्य के सरंक्षण में खेला जा रहा है। जिससे बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है, लेकिन प्रशासन इस पर कार्यवाही करने के बजाय गहरी निंद्रा में सोया हुआ है। जिसका परिणाम है की खरसिया कॉलेज में खुलेआम नक़ल चलाने का कारोबार खुलेआम चल रहा है।