[aps]छत्तीसगढ़ राज्य की आर्थिक एवं राजनितिक राजधानी के रूप में अपनी अलग पहचान रखने वाला खरसिया विधानसभा का खरसिया तहसील कार्यालय इन दिनों प्रयोगशाला के रूप में नजर आने लगा है. खरसिया तहसील में चाहे अनुविभागीय अधिकारी का पद हो या फिर तहसीलदार, नायब तहसीलदार साल में अनेकों बार यहाँ अधिकारी कपड़ों की तरह बदले जाते हैं, जिससे ऐसा लगता है कि खरसिया तहसील एक प्रयोगशाला में तब्दील हो गया है [/aps] [aph] खरसिया : [/aph] अभी ६ माह पूर्व ही प्रभारी तहसीलदार श्रीमति एक्का को खरसिया से बरमकेला भेजा गया था उनके स्थान पर नायब तहसीलदार प्रफुल्ल रजक को खरसिया भेजा गया था साथ ही उन्हें प्रभारी तहसीलदार भी बनाया गया था, किन्तु महज ५-६ महीनो में ही उन्हें कापू भेजकर उनके स्थान पर नायब तहसीलदार सागर को एवं प्रभारी तहसीलदार के रूप में सहायक कलेक्टर गौरव सिंह को भेजा गया था किन्तु महज १ माह बाद ही उन्हें वापस बुलाकर उनके स्थान पर भागीरथी खाण्डे को खरसिया का प्रभारी तहसीलदार बनाया गया है. पिछले १५ महीनो में खरसिया खरसिया में ४ तहसीलदार, ४ नायब तहसीलदार, ३ अनुविभागीय अधिकारी बदल चुके हैं, लेकिन प्रयोगशाला बन चुके खरसिया तहसील में आई ए एस गौरव सिंह के बतौर प्रभारी तहसीलदार पदभार ग्रहण करते ही प्रशासनिक कार्यों में कसावट सहित विकाश कार्यों में तेजी देखने को मिली थी उनके द्वारा तेज़ तर्रार शैली में काम करते हुए खरसिया विकाश खंड के सरपंच सचिवों की बैठक लेकर उन्हें ग्राम विकाश के कार्यों को प्राथमिकता से करने सहित पटवारियों की बैठक लेकर उन्हें आम जनता के कार्यों को महत्व देने सख्त हिदायत के बाद प्रशासनिक कसावट देखने को मिल रही थी. उनके द्वारा महज एक माह में खरसिया तहसील में साफ़ सफाई सहित जनपद पंचायत में एक शानदार सभा कक्ष का निर्माण भी कराया गया है. तहसील की सुरक्षा के मद्देनजर तहसील प्रांगण में बौंड्री वाल का निर्माण प्रारम्भ कराया था. इसके अतिरिक्त लोक सुराज अभियान के तहत पुरे विकाश खंड में आयोजित शिविरों को सफलता पूर्वक आयोजित कर लोगों से प्राप्त समस्याओं के निराकरण को प्राथमिकता दी गई थी. अब खरसिया वाशियों को तहसील सहित विभिन्न सरकारी विभागों में अपना काम आसानी से निपटने की आस जगी थी किन्तु अचानक जिला कलेक्टर द्वारा न जाने किस राजनीतिंक दबाव अथवा प्रशासनिक व्यवस्था के तहत प्रभारी तहसीलदार (सहायक कलेक्टर) गौरव सिंह को वापस रायगढ़ बुलाकर एक बार फिर खरसिया की जनता को बतौर प्रयोग लैलूंगा के नायब तहसीलदार भागीरथी खाण्डे को अस्थायी तौर पर खरसिया तहसीलदार का प्रभार दिया गया गया है! खरसिया की जनता पर न जाने कब तक यह प्रयोग चलता रहेगा।
[su_pullquote]खरसिया क्षेत्र में गौण खनिजों का अवैध उत्खनन एवं परिवहन करने वालो के विरूद्ध ठोस कार्यवाही करने वाले खरसिया तहसीलदार सहायक कलेक्टर गौरव सिंह को कलेक्टर द्वारा अचानक वापस बुलाया जाना क्षेत्रवासियों के समझ से परे है।[/su_pullquote] सहायक कलेक्टर गौरव सिंह के इस छापामार कार्यवाही से जहां खरसिया क्षेत्र में अवैध कार्य करने वालो के हौसले पस्त हो रहे थे वहीं लोगो के मन में प्रशासन के प्रति अच्छी छबि बनने लगी थी किंतु कलेक्टर रायगढ़ द्वारा अचानक गौरव सिंह के जगह खरसिया तहसीलदार के पद पर लैलूंगा के नायब तहसीलदार का पदस्थापना किया जाना क्षेत्रवासियों के समझ से परे है।
[su_highlight background=”#35404F” color=”#efefef”]विदित हो कि खरसिया तहसीलदार पद पर जब से सहायक कलेक्टर गौरव सिंह की पदस्थापना हुई थी तब से खरसिया तहसील कार्यालय में कार्यो में तेजी आई थी[/su_highlight] खरसिया विकासखंड के ग्रामीण क्षेत्रो से आने वाले लोगो को अपनी समस्याओं के लिये इनके रहते तहसील कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पडे जैसे बी-1 खसरा प्राप्त करने वालो ग्रामीण कृषको को तहसीलदार के रूप में पदस्थ सहायक कलेक्टर गौरव सिंह ने तत्काल बी-1 खसरा उपलब्ध कराना प्रारभ किया था। इसी प्रकार ग्रामीणो क छोटी मोटी समस्याओं को वे तत्काल निपटारा कर दिये गये करते थे जिससे ग्रामीणजनो में प्रशासन की अच्छी छबि बन रही थी। वहीं क्षेत्र में अवैध रूप से रेत उत्खन एवं परिवहन करने वालो रेत माफि ओं एवं बोल्डर, मुरूम जैसे गौण खनिजो के अलावा आदिवासी अंचल बरगढ खोला के ग्राम फरकानारा में मिलने वाले छुही पत्थर फ ायर क्ले का कई सालो से अवैध उत्खनन करने वालो के विरूद्ध सहायक कलेक्टर गौरव सिंह ने छापमार कार्यवाही करते हुए इसे बंद करवाया था। जिससे भी स्थानीय प्रशासन की छबि लोगो में अब अच्छी बनने लगी थी तथा लोगो के उपर प्रशासन का विश्वास जमना शुरू हुआ था किंतु गौरव सिंह के स्थान पर लैलूंगा के नायब तहसीलदार को खरसिया जैसे बडे तहसील का तहसीलदर बना कर भेजना क्षेत्रवासियों के समझ से परे है। जिला प्रशासन की यह कार्यवाही को क्षेत्रवासी के समझ से बिल्कुल परे है। लोगो के मन में यह बात भी अब घर करने लगी है कि कहीं अवैध कार्य करने वाले रेत माफिया या खनिजो के अवैध उत्खनन करने वालो द्वारा तो कहीं तहसीलदार का स्थानांतरण नहीं करवाया गया है।