मकर संक्रांति (Makar Sankranti) हर वर्ष जनवरी महीने के 14 तारीख को मनाया जाता है इसलिए हम आपके लिए यहां मकर संक्रांति से जुडे 14 तथ्य शेयर करने जा रहे है जिन्हें पढ़ने के बाद आप की जानकारी इस पर्व के बारे और बढ़ेगी। – Happy Makar Sankranti
भारत भूगौलिक दृष्टि से एक बड़ा देश है इस लिए यहां हर मौसम और समय भांति भांति के तीज तैयोहार मनाये जाते हैं। हर पर्व का एक विशेष महत्व और उसके पीछे जुड़ी कुछ पौराणिक मान्यताएं होती हैं। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) भी एक ऐसा पर्व है जिसका हिंदी तीज त्योहारों में एक विशेष स्थान है। ये एक ऐसा पर्व है जिसे भारत के लगभग हर कोने में मनाया जाता है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को कई अलग अलग नमो से जाना जाता है.
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आप इन जानकारियों को बच्चों के साथ जरूर शेयर करें ताकि कभी स्कूल में मकर संक्रांति के ऊपर निबंध लिखने आये तो वो तैयार रहें।
1. पूरे वर्ष में एक नही बल्कि 12 संक्रांति होते हैं।
2. सूर्य जब एक राशि से दूसरे राशि मे प्रवेश करता है उसे संक्रांति कहते हैं।
3. सूर्य जान धनु राशि से मकर राशि मे प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति कहते हैं।
4. मकर संक्रांति को सूर्य न सिर्फ राशि बदलता है पर वो दक्षिणायन से उत्तरायण होता है इसलिए इस पर्व का विशेष महत्व हैं।
5. संक्रांति सूर्य देव का पर्व है और रविवार का कारक ग्रह सूर्य है इएलिये अगर मकरसंक्रांति रविवार को पड़े तो इसका महत्व बढ़ जाता हैं।
6. ज्योतिषी के अनुसार इस दिन टिल का दान करने से कुंडली के दोष दूर होते हैं।
7. पुराने जमाने मे लोग इस दिन जल्दी उठ कर शरीर पे तिल के तेल का मालिश करते थे। इसे शुभ माना जाता है।
8. मकर संक्रांति को मान्यता है कि भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वम जाते हैं
9. इसलिए इस दिन काले तिल का दान करने से शनि के दोषों से मुक्ति मिलती हैं।
10. मकर संक्रांति भारत मे ही नही बल्कि नेपाल और कई अन्य देशों में मनाया जाता है।
11. महाभारत काल मे भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही दिन चुना था।
12. अधिकतर मकर संक्रांति जनवरी के 14 तारीख को पड़ता है पर कभी कभी 13 या 15 को भी पड़ जाता है।
13. सूर्य का उत्तरायण होने से इस दिन से ठंड में कमी आने लगती है।
14. मकर संक्रांति के दिन भारत के अधिक्तर हिस्सों में पतंग उड़ाने की भी परंपरा है।
15 (बोनस). मकर संक्रांति को देश के अलग अलग हिस्सों में इसे अलग अलग नमो से भी जाना जाता है जसे उतर भारत में इसे उतरायण कहा जात है, बंगाल में तिल संक्राति, तमिलनाडु में इसे पोंगल, तेलुगु में इसे पेडा पंडुगा, वहीं पंजाब में मकर संक्राति को लोहड़ी के रुप में मनाते है।
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