[aph] रायपुर [/aph] कृषि वैज्ञानिकों तथा कृषि विभाग के अधिकारियों ने प्रदेश के ऐसे जिलों जहां अच्छी बारिश हुई है, वहां के किसानों को सीधी बोनी पद्धति से धान बोने की सलाह दी है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा आज यहां जारी मौसम आधारित कृषि परामर्श में यह भी बताया है कि अवर्षा की स्थिति में धान की बियासी नहीं करनी चाहिए। केवल अंकुरण के पश्चात निंदानाशक जैसे बिसपयारीबेक का उपयोग करना उपयुक्त होता है।
कृषि वैज्ञानिकों ने हल्की जमीनों में 100 से 115 दिन में पकने वाली धान की किस्में जैसे दंतेश्वरी, पूर्णिमा, इंदिरा, बैरानी धान-एक, अनंदा, समलेश्वरी, एम.टी.यू. -1010, आई.आर. 36 लगानी चाहिए। इन किस्मों के प्रमाणित बीज यदि उपलब्ध न हो तो किसान स्वयं का बीज 17 प्रतिशत के नमक घोल एवं बाविस्टिन से उपचार करके धान की बोआई कर सकते हैं। जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन है वे धान की कतार बोनी करने के बाद पहली सिंचाई कर सकते हैं। अंकुरण के 20 दिन पश्चात निंदानाशक का उपयोग करना चाहिए। भर्री जमीन में मूंग, उड़द व तिल की बोनी की जा सकती है। वर्तमान में खरीफ सब्जियों-जैसे टमाटर, बैगन, मिर्च इत्यादि के थरहा के लिए बीज बोने का उपयुक्त समय है।