[pullquote-left] एएनएम द्वारा घरों में प्रसव कराए जाने की शिकायत पर कलेक्टर ने जतायी नाराजगी
स्वास्थ्य केन्द्रों में उपलब्ध रहे चिकित्सक [/pullquote-left]
रायगढ़ : कलेक्टर श्रीमती अलरमेल मंगई डी ने आज राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम अंतर्गत संचालित स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा के लिए आरोग्यम सभाकक्ष में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की क्लास ली। कलेक्टर श्रीमती मंगई डी ने जिले में नवजात शिशुओं की मृत्यु अत्यधिक होने पर गहरी चिंता जताते हुए स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों एवं अधिकारियों को इसकी रोकथाम के लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाने और उस पर कड़ाई से अमल करने को कहा। जिले में 90 प्रतिशत संस्थागत प्रसव होने के बावजूद भी शिशु मृत्यु दर में कमी न होने की बात को लेकर उन्होंने कहा कि यह विभागीय चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की लापरवाही का परिचायक है। कतिपय महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा घर में जाकर प्रसव कराने की शिकायत पर भी उन्होंने गहरी नाराजगी जताई और कहा कि यह ठीक बात नहीं है। जिला चिकित्सालय में भी नवजात शिशुओं की मृत्यु के आंकड़ों को लेकर भी उन्होंने सिविल सर्जन से जवाब-तलब किया। बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एच.एस.उरांव, सिविल सर्जन डॉ.वाय.के.शिन्दे, डीपीएम श्री गिरीश कुर्रे सहित समस्त खण्ड चिकित्सा अधिकारी, विकास खण्ड प्रबंधक सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
कलेक्टर श्रीमती मंगई डी ने नवजात बच्चों की मृत्यु के आकड़ों पर विस्तार से चर्चा कर समस्त खण्ड चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी गर्भवती महिलाओं का प्रथम त्रैमास में ही अनिवार्य रूप से गर्भ जांच किए जायें एवं सम्पूर्ण गर्भावस्था के दौरान सभी चार गर्भ जांच किया जाकर हाई रिस्क प्रकरणों की पहचान करने एवं उनके प्रसव के संभावित तिथि के पूर्व मितानिनों एवं एएनएम के माध्यम से काउंसलिंग कर प्रसव के संभावित तिथि के समय 108 संजीवनी एक्सप्रेस एवं 102 महतारी एक्सप्रेस के माध्यम से चिन्हांकित अस्पताल में सुरक्षित प्रसव कराने कहा। इस प्रकार समस्त हाई रिस्क गर्भवतियों की पहचान कर आवश्यक सावधानियां और परिवहन, चिन्हांकित अस्पताल आदि के साथ कार्ययोजना तैयार कर संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिए जाने की बात कही। जिले में हो रही लगभग 2800 गृह प्रसव में से 800 प्रसव स्वयं एएनएम द्वारा घरों में जाकर गृह प्रसव कराने पर नाराजगी व्यक्त की एवं एएनएम द्वारा गृह में प्रसव कराने को सख्ती से प्रतिबंधित कर आवश्यक कार्यवाही किये जाने हेतु समस्त खण्ड चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए।
जिले में नवजात बच्चों की मृत्यु दर संख्या को देखकर कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग के प्रति रोष व्यक्त किया। उन्होंने खण्ड चिकित्सा अधिकारियों से कहा कि जिले में संस्थागत प्रसव कुल प्रसव का 90 प्रतिशत है। उसके उपरांत भी बड़ी संख्या में नवजात शिशुओं की मृत्यु होना चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य अमले की लापरवाही को प्रदर्शित करता है। जिले के सबसे बड़े जिला अस्पताल में एसएनसीयू संचालित होने के उपरांत भी सर्वाधिक नवजात शिशुओं मृत्यु का होने के संबंध में एक जॉच रिपोर्ट तैयार करने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देशित किया।
[pullquote-right] कलेक्टर श्रीमती मंगई डी ने जिला अस्पताल, लैलूंगा, धर्मजयगढ़ एवं सारंगढ़ में नवजात बच्चों के मृत्यु पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जिले में कोई भी नवजात शिशु की मृत्यु न हो इस हेतु प्रसव उपरांत समस्त नवजात शिशुओं को उपस्थित चिकित्सा अधिकारी अथवा शिशु रोग विशेषज्ञ से अनिवार्य रूप से देखरेख कराये जाने एवं आवश्यकता होने पर जिला अस्पताल के एसएनसीयू में समय रहते बेहतर ईलाज हेतु रिफर कराए जाने कहा। जिले में समस्त अस्पतालों मेें संस्थागत प्रसव हेतु लेबर रूम, ऑपरेशन थियेटर को उत्कृष्ट श्रेणी का बनाये जाने हेतु तत्काल कार्यवाही करने, जिले में नवजात शिशु मृत्युओं का संस्थावार जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। [/pullquote-right]
कलेक्टर ने अस्पताल को साफ-सुथरा रखने, चिकित्सक, स्टॉफ नर्स, एएनएम एवं अन्य स्टॉफ को मरीजों एवं उनके परिजनों से अच्छा व्यवहार कर बेहतर ईलाज करने को कहा, जिससे लोगोंं में निजी चिकित्सालयों से ज्यादा शासकीय चिकित्सालयों में रूझान हो और शासन द्वारा संचालित योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ दिलाने के निर्देश दिए। यह भी सुनिश्चित किया जावे कि समस्त चिकित्सक, स्टॉफ नर्स, एएनएम एवं अन्य स्वास्थ्य स्टॉफ अनिवार्य रूप से मुख्यालय में रहें। कलेक्टर ने कहा कि जिले के समस्त जिला अस्पताल, सिविल अस्पतालों सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में चौबीसों घण्टे कोई न कोई डॉक्टर ड्यूटी पर अनिवार्य रूप से उपलब्ध रहे तथा अवकाश के दिनों में अस्पताल में उपलब्ध रहें।
कलेक्टर श्रीमती मंगई डी ने जिला कुष्ठ अधिकारी को जिले में कुष्ठ रोग की अत्यधिक समस्या को ध्यान में रखकर कुष्ठ मुक्ति हेतु वृहत कार्ययोजना बनाकर एक महाअभियान संचालित करने, कुष्ठ रोग को मिटाने जन-जागरूकता अभियान चलाकर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं मितानिनों को प्रशिक्षित कर, मरीजों का घर-घर सर्वे कर आवश्यक ईलाज करने कहा तथा समाज में कुष्ठ रोगियों के प्रति लोगों में छुआछुत की भावना को मिटाने शिविर लगाकर कार्य करने निर्देश दिए।
कलेक्टर ने आगे कहा कि भारत सरकार द्वारा देश के सबसे गंभीर लिंगानुपात वाले 100 प्रमुख जिले में रायगढ़ को भी शामिल किया गया है। अतएव जिले में पीएनडीटी एक्ट को सख्ती से लागू करते हुए जिले में लिंगानुपात पर विशेष प्राथमिकता देते हुए कार्य किये जाने के निर्देश दिए। इस हेतु जिले के समस्त शासकीय एवं निजी सोनोग्राफी सेन्टर को ऑनलाईन करने तथा उनका औचक निरीक्षण कर लिंग परीक्षण करते पाये जाने पर संबंधित संचालक एवं स्टॉफ के विरूद्घ सख्त कानूनी कार्यवाही करने के निर्देश दिए। जिले के सोनोग्राफी सेन्टरों में 5 माह से ज्यादा कितने गर्भवती महिलाओं ने सोनोग्राफी कराया गया की जानकारी एकत्र किए जाने के निर्देश दिए तथा जिले में हुए स्टील बर्थ एवं नवजात शिशु की मृत्यु में कितने ल$डका-ल$डकी के मृत्यु हुए इसकी रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुत करने कहा। लोक सुराज अभियान के दौरान सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में कोई भी अधिकारी/कर्मचारी, चिकित्सक, स्टॉफ नर्स, एएनएम, अन्य चिकित्सकीय स्टॉफ अवकाश पर नहीं जाने के निर्देश दिए एवं जिले समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों, डिपो होल्डरों, मितानिनों के दवा पेटी में पर्याप्त आवश्यक दवाईयां उपलब्ध होना सुनिश्चित कराने निर्देश दिए।