[su_heading size=”17″ margin=”10″]बिलासपुर संभाग में एक अभिनव पहल[/su_heading]
[aph] रायगढ़ : [/aph] वृक्षों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए बिलासपुर संभाग में एक अभिनव पहल की जा रही है। ताकि हरियाली के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कारगर सिद्ध हो सके। संभाग के सभी जिलों में वृक्षारोपण किये गये जगहों के लिए वृक्षमित्र (आब्जर्वर) नियुक्त किये जायेंगे। ये आब्जर्वर तीन साल के लिए नियुक्त होंगे। जिन्हें पौधों के रख-रखाव के संबंध में तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। बिलासपुर संभाग में इस वर्ष वृक्षारोपण महाभियान के तहत साढ़े तीन करोड़ पौधरोपण किया जायेगा। वन महोत्सव के दिन 03 अगस्त 2015 को साढ़े ग्यारह लाख पौधरोपण का लक्ष्य है। संभागायुक्त श्री सोनमणि बोरा ने संभाग के सभी जिला कलेक्टरों को हरियर छत्तीसगढ़ अभियान एवं वन महोत्सव के लिए पुख्ता इंतजाम कर इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए निर्देशित किया है।
संभागायुक्त श्री बोरा ने संभाग के कलेक्टरों से कहा है कि अपने जिले में पौधरोपण वाले जगहों के लिए जिला स्तर पर वृक्षमित्र आब्जर्वर के रूप में अधिकारियों को उनके पदनाम से नियुक्त करेंगे। ये आब्जर्वर तीन वर्ष के लिए नियुक्त होंगे। आब्जर्वर समय-समय पर वृक्षारोपण स्थल का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। हर तीन माह में कलेक्टर इसकी समीक्षा करेंगे। इन वृक्षमित्रों को वन, उद्यान एवं रेशम विभाग द्वारा वृक्षों के रख-रखाव संबंधी तकनीकी प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन दिया जायेगा। वृक्षमित्र को जिस उद्देश्य से नियुक्त किया जा रहा है, उसके प्रति वे जवाबदार होंगे।
संभागायुक्त श्री बोरा ने कहा है कि बिलासपुर संभाग में वृक्षारोपण का मूल उद्देश्य 05 मार्गदर्शी सिद्धांतों के आधार पर होगा। इनमें पर्यावरण अनुकूल वातावरण निर्मित करना और पर्यावरण एवं प्रकृति को समृद्ध करना। इसी तरह कुपोषण मिटाने, वन्य प्राणी और मनुष्य के बीच संघात को कम करने, वृक्षारोपण से आजीविका सृजन तथा ऐतिहासिक वृक्षों का संरक्षण भी शामिल है। इसी के आधार पर वृक्षों के विभिन्न प्रजातियों का चयन कर पौधरोपण किया जा रहा है। उन्होंने वृक्षारोपण के समय ऐसे फलदार औषधि गुण संपन्न पोषक तत्व से भरपूर प्रजातियों का अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने विशेष जोर दिया है। ताकि कुपोषण को दूर करने में सहायक सिद्ध हो सके। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों में पक्का आहाता या बांस इत्यादि का घेरा कराने कहा है। ऐसे परिसरों में आम, कटहल, जामुन, अमरूद, पपीता, मुनगा, सीताफल इत्यादि प्रजातियों के फलदार वृक्षारोपण सुनिश्चित करने के लिए कहा है। पर्याप्त जगह उपलब्ध होने पर बांस रोपण भी किया जा सकता है। संभाग के जंगलों में वन प्राणियों की समृद्ध उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए उनके सुरक्षा एवं संरक्षण का भी विशेष ध्यान रखना होगा। उन्होंने कोरबा से लेमरू तक दो हजार आम पौधरोपण को एक अच्छा प्रयास बताते हुए सराहना की है। वृक्षारोपण से रोजगार सृजन भी होगा। इसमें विशेष रूप से कोसाफल उत्पादन एवं धागाकरण से लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सकता है। इसके लिए संभाग में सिल्क विजन. 2020 तैयार की गई है। इसके तहत् संभाग में सिल्क कारीडोर एवं सिल्क टूरिज्म की अवधारणा लाई गई है। इसके तहत् नैसर्गिंक वनों से कोसाफल उत्पादन के साथ ही अर्जुन-साजा, शहतूत जैसे पेड़ों का रोपण कर नई कोसा गार्डन निर्मित किया जा सकता है। इससे जुड़े व्यक्तिगत एवं समूह के रूप में प्रशिक्षण के पश्चात् रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। संभागायुक्त ने कहा है कि संभाग में वन प्राणियों के साथ-साथ वृक्षों की अनेक प्रजातियों के जियो हेरिटेज मामले में भी समृद्ध है। जिसका संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने उदाहरण स्वरूप बताया है कि बिलासपुर जिले में बीजू देशी आम, पेण्ड्रा-गौरेला क्षेत्र का कटहल व जामुन, मुंगेली क्षेत्र का सीताफल, रायगढ़ क्षेत्र में काला सीसम मूल प्रजाति का बीज संरक्षण करते हुए इनका भी वृक्षारोपण किया जा सकता है। वृह्द भू-खण्ड में बॉटनिकल गार्डन भी अच्छा प्रयास हो सकता है। श्री बोरा ने वृक्षारोपण के लिए मिट्टी परीक्षण, गढ्डा, खाद, मिट्टी एवं पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कहा है।