रायगढ़ : रायगढ़ रियासत का नाम संगीत कला, नृत्य कला और भी विभिन्न प्रकार के कलाओं में अपने नाम की धूम मचा चुका है और अभी [pullquote-right] और अब यह भी पता चला है कि सालों से गुम राजपरिवार के इस चर्चित और ऐतिहासिक शिकारगाह को रायगढ़ राजपरिवार ने खोज निकाला है। रायगढ़ रियासत के अंतिम शासन रहें स्व. राजा ललित सिंह की पत्नी रानी शकुन्तला देवी सिंह पूर्व विधायिका ने एक भेंट में बताया कि वे इस ऐतिहासिक शिकारगाह को प्राप्त करने के लिए कानूनी कार्यवाही किये जाने के लिये अपने विधि सलाहकारों को निर्देश दे चुकी है। और शीघ्र ही कानूनन रूप से उस शिकारगाह पर कब्जा कर लिया जायेगा। और उसे उसके पुराने रूप पर विकसित किया जायेगा। [/pullquote-right] भी वह अनवरत रूप से जारी है जिसका प्रमाण है प्रति वर्ष होने वाले चक्रधर समारोह जिसमें देश भर के ख्याति लब्ध नृत्यांगना, गायक, संगीत विशारद और विभिन्न कलाओं में पारंगत कलाकार भाग लेते हैं। ऐसे ही राजा चक्रधर सिंग के व्यक्तित्व का एक पहलु और भी है जो आज भी चौंकाने वाला है, राजा साहब शिकार के बेहद शौकीन भी थे, इसके लिए रायगढ़ से 5 कि.मी. दूर बोइरदादर में शिकारगाह बनवाया गया था जहां उन दिनों घनघोर जंगल हुआ करता था वहां इस तरह का शिकार गाह देखकर आप अभी भी चकित हो जायेंगे। दो मंजिले हवेली में पानी पूरी सुविधा थी, दीवारों पर पेरीस के टाइल्स लगे थे, गुसल खाना, आरामगाह नाच और संगीत की महफिलों के लिए बड़ा हाल, छत पर बेहतरीन तराशे गए टाइल्स लगे हैं, जो आज लगभग उखड़ गये हैं पर फिर भी जो बचे रह
गए हैं जो उस समय की कहानियाँ कहने के लिए काफी हैं, यानी कि खंडहर बता रहे हैं इमारत कितनी बुलंद रही होगी। दरो दिवार से आज भी वहां संगीत गूुंज रहा है।