खरसिया के कुनकुनी में आदिवासियों की जमीन घोटाले की जो जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। उसमें तत्कालीन तहसीलदार, पटवारी, उपपंजीयक से लेकर सरपंच व सचिव सहित कुल 11 लाेगों को कसूरवार माना गया है और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए कलेक्टर ने शासन से अनुमति मांगी है।
कुनकुनी के जमीन घोटाले में जांच कर रही समिति की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। खरसिया में आदिवासियों के नाम पर बेनामी खरीदी के तहत करीब 300 एकड़ जमीन का फर्जीवाड़ा किया गया था। जिला प्रशासन ने जो रिपोर्ट शासन को भेजी है। उसके मुताबिक सप्तऋषि इंफ्राटेक कंपनी के नाम पर बेनामी खरीदी की बात सामने आई है।
साल 2009 से 2013 तक हुए इस फर्जीवाड़े में जांच अधिकारियों ने जिन अधिकारियों की गलती मानी है। उनमें तत्कालीन उपपंजीयक केके प्रधान, व एसआर महिलाने, तत्कालीन तहसीलदार एचएस ध्रुव, अतुल शेट्टे और प्रफुल्ल रजक के भी नाम शामिल हैं। जमीन के फर्जीवाड़े में फाइलों को जल्द से जल्द आगे बढ़ाने में चार पटवारियों को भी इसमें दोषी माना है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक संतराम राठिया और संतोष गौतम को आदिवासी बताकर जो खरीदी की गई थी। उसमें फर्जी जाति प्रमाण पत्र का उपयोग किया गया था और इसे सरपंच लोपकुंवर राठिया ने जारी किया था। रिपोर्ट के अनुसार सरपंच के साथ ग्राम सचिव रामाधार डनसेना को भी इसके लिए कसूरवार माना गया है।
आदिवासियों से जमीन खरीदने के बाद भूअर्जन करने की भी पुष्टि इस रिपोर्ट में हुई है और मनीष बनसिया को भी इसमें भागीदार बनाकर मुआवजा पत्रक में इसका उल्लेख कर दिया गया है। जमीन के सौदे में दलालों के रूप में काम करने के लिए मनीष बंसल और संदीप गोयल के भी नाम सामने आए हैं।
एक साथ हुई इतनी गलतियों के बाद रिपोर्ट पर अब संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए कलेक्टर ने शासन से अनुमति मांगी है और उपपंजीयक, तहसीलदार, पटवारी तथा सरपंच व सचिव सहित 11 आरोपियों की इस टीम के लिए उनके संबंधित मुख्यालय में भी विभागीय जांच करने के लिए पत्र लिखा है।