[su_heading size=”17″ margin=”10″]प्रभारी सचिव ने अधिकारियों से अभियान के उद्देश्य को पूरा करने के दिए निर्देश [/su_heading]
[aph] रायगढ़ : [/aph] छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में इस वर्ष राष्ट्रव्यापी जल क्रांति अभियान चलाया जाएगा। जल संरक्षण और जल प्रदूषण निवारण के उददेश्य से आयोजित इस अभियान के अन्तर्गत राज्य, जिला और विकासखंड स्तर पर समितियां गठित की जाएंगी और प्रत्येक जिले के एक ऐसे गांव को चिन्हांकित किया जाएगा, जहां जल की सबसे ज्यादा समस्या होगी। ऐसे गांव को जल ग्राम का नाम दिया जाएगा। राष्ट्रीय स्तर पर जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय और राज्य स्तर पर संबंधित राज्य का जल संसाधन विभाग इस अभियान की निगरानी करेगा। छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन विभाग के सचिव डॉ. बी.एल.तिवारी ने यह जानकारी आज यहां रायगढ़ में कलेक्टोरेट परिसर स्थित सृजन सभाकक्ष में जिला स्तरीय अधिकारियों को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने जल संसाधन, पीएचई, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, कृषि, भूमि संरक्षण सहित अन्य विभागों के अधिकारियों को इस अभियान को सफल बनाने के लिए समन्वय से काम करने के निर्देश दिए। बैठक में कलेक्टर श्रीमती अलरमेल मंगई डी, अपर कलेक्टर श्री श्याम धावड़े एवं प्रियंका महोबिया, सहायक कलेक्टर श्री ऋतुराज रघुवंशी, प्रमुख अभियंता जल संसाधन एच.आर.कुठारे, मुख्य अभियंता ए.के.दुबे एवं व्ही.के.श्रीवास्तव सहित सभी विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
प्रभारी सचिव ने डॉ.बी.एल.तिवारी ने जल क्रांति अभियान के सफ ल क्रियान्वयन के लिए जिला और विकासखंड स्तर पर शीघ्र समितियों का गठन करने के निर्देश दिए। इस अभियान के अन्तर्गत जल सुरक्षा और विकास योजनाओं में पंचायती राज संस्थाओं और स्थानीय निकायों की जमीनी स्तर पर भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि जल संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन में परम्परागत जानकारी के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकारी और गैर सरकारी संगठनों, नागरिकों को भी इस अभियान से जोड़ा जाना है। प्रभारी सचिव ने जल क्रांति अभियान को सफल बनाने के लिए स्थानीय नवाचारी उपायों के लिए परम्परागत ज्ञान के साथ आधुनिक तकनीक का प्रयोग सुनिश्चित करने की बात कही। इसमें सतही और भूजल दोनों के संयुक्त उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जल क्रांति अभियान के अन्तर्गत देश के 672 जिलों में से प्रत्येक जिले के सबसे ज्यादा जल की कमी वाले गांव को जलग्राम का नाम दिया जाएगा। जल ग्राम का चयन जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा। प्रत्येक जल ग्राम के लिए एक जल स्वास्थ्य कार्ड बनाया जाएगा, जो गांव के लिए उपलब्ध पेयजल स्त्रोतों की गुणवत्ता की सूचना देगा। प्रत्येक जल ग्राम के लिए ब्लॉक स्तरीय समितियों द्वारा गांव में जल के स्त्रोत मात्रा और गुणवत्ता संबंधी आंकड़ों और अनुमानित आवश्यकताओं के आधार पर व्यापक एकीकृत विकास योजना बनायी जाएगी। इस योजना में गांव में जल के वर्तमान स्त्रोतों, मात्रा और गुणवत्ता के संबंध में जल की आवश्यकता एवं उपलब्धता के बीच अन्तर की जानकारी एकत्र की जाएगी। जल ग्राम के संबंध में एकीकृत विकास योजना राज्य के जल संसाधन विभाग द्वारा क्रियान्वित की जाएगी और इसके लिए आवश्यक राशि पूर्व से संचालित योजनाओं जैसे जल निकायों की मरम्मत, नवीकरण, पुनरूद्धार, एकीकृत वाटर शेड प्रबंधन, प्रस्तावित प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और मनरेगा के लिए उपलब्ध निधि से उपलब्ध करायी जाएगी।
जल ग्राम योजना के अन्तर्गत वर्तमान और बंद हो चुके जल निकायों, जलाशय, टैंक आदि की मरम्मत, नवीनीकरण एवं पुनरूद्धार, वर्षा जल संचयन और भूमि जल का कृत्रिम पुनर्भरण, अपशिष्ट जल का पुनर्चक्रण, किसानों की सक्रिय भागीदारी के लिए जन-जागरूकता कार्यक्रम, जल के कुशल उपयोग के लिए सूक्ष्म सिंचाई, जल जमाव वाले क्षेत्रों की पुनर्बहाली के लिए बायो-ड्रेनेज, समुदाय आधारित जल निगरानी, नई तकनीकों और प्रौद्योगिकों का प्रयोग, प्रदूषण उपशमन, सतही और भूमि जल और जल प्रयोक्ता संघों और पंचायती राज संस्थाओं का क्षमता निर्माण किया जाएगा।