इनमें से कटे-फटे होठों वाले 125 बच्चों के चेहरों पर भी लौटी मुस्कान
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की मदद के लिए रोडमैप तैयार
रायपुर, 05 फरवरी 2015
सर्वशिक्षा अभियान की समावेशी शिक्षा योजना के तहत छत्तीसगढ़ में चालू वित्तीय वर्ष 2014-15 में शारीरिक विकृतियों वाले लगभग पांच सौ से अधिक बच्चों को निःशुल्क इलाज और ऑपरेशन के जरिये शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जा चुका है। योजना के तहत वर्ष 2014-15 में कटे-फटे होठों और तालुओं वाले 231 बच्चे चिन्हांकित किए गए हैं। इनमें से अब तक 125 बच्चों के निःशुल्क ऑपरेशन हो चुके हैं और उनके चेहरों पर मुस्कान लौट आयी है। इन्हें मिलाकर विभिन्न शारीरिक विकृतियों वाले 527 बच्चों को सर्जरी के जरिये इस योजना का लाभ दिलाया जा चुका है।
स्कूल शिक्षा और आदिम जाति विकास मंत्री श्री केदार कश्यप ने आज बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की विशेष पहल पर योजना के तहत स्कूल शिक्षा विभाग ने ऐसे बच्चों की मदद के लिए रोडमैप तैयार कर लिया है। श्री कश्यप ने बताया कि समावेशी शिक्षा योजना में छत्तीसगढ़ की गिनती देश के प्रथम तीन राज्यांे में होने लगी है। महाराष्ट्र और बिहार के बाद छत्तीसगढ़ तीसरा राज्य है, जहां सर्वशिक्षा इस योजना के तहत इतनी बड़ी संख्या में निःशक्त स्कूली बच्चों के निःशुल्क ऑपरेशन हुए हैं। यह योजना छह वर्ष से 14 वर्ष तक आयु समूह के निःशक्त बच्चों के लिए संचालित की जा रही है। सर्वशिक्षा अभियान में ऐसे बच्चों को विशेष आवश्यकता वाले बच्चे के रूप में सम्बोधित किया जाता है। समय सारिणी के साथ यह रोडमैप सभी जिलों में संबंधित अधिकारियों को भेजा गया है। श्री कश्यप ने बताया कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने ऐसे बच्चों की शिक्षा के लिए अध्यापकों को प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से पाठ्यक्रम तैयार किया है। इस विशेष पाठ्यक्रम के लिए 14 हजार 201 शिक्षकों को पांच दिवसीय प्रशिक्षण देने की योजना भी बनाई गई है। प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश के 27 में से अब तक 26 जिलों में 186 स्रोत व्यक्तियों (रिर्सोस पर्सन) की संविदा नियुक्ति की जा चुकी है, जबकि शेष 114 स्रोत व्यक्तियों को भी संविदा आधार पर जल्द नियुक्त किया जाएगा।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि समावेशी शिक्षा योजना उन बच्चों का हौसला बढ़ाने और उन्हें सामान्य बच्चों के साथ बराबरी की भावना से शिक्षा दिलाने के लिए शुरू की गई है, जो किसी न किसी शारीरिक विकृति से पीड़ित हैंं। इनमें से कक्षा पहली से आठवी तक पढ़ाई कर रहे एक हजार 903 नेत्रहीन बच्चों बच्चों को ब्रेल-लिपि में किताबें छपवाकर दी गई हैं। मूक-बधिर बच्चों की मदद के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके लिए राज्य में पहली बार विकासखंडों के स्तर पर 200 स्रोत व्यक्तियों को फिजियोथैरेपी, व्यावसायिक चिकित्सा थैरेपी और वाणी चिकित्सा (स्पीच थैरेपी) का प्रशिक्षण दिया गया है।
श्री कश्यप ने बताया कि ऐसे निशक्त बच्चों के लिए इस योजना में उनके स्वास्थ्य परीक्षण, निःशक्तता के प्रमाणीकरण, निःशुल्क ऑपरेशन और गंभीर रूप से विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए फिजियोथैरेपी, स्पीच थैरेपी, स्कूल आने-जाने के लिए अनुरक्षण भत्ता, परिवहन भत्ता, सहायक उपकरणों के वितरण जैसे कार्य भी लिए जा रहे हैं। इन बच्चों की विशेष आवश्कता को ध्यान में रखकर उनकी पढ़ाई के लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। त्वचा से संबंधित और हड्डियों से संबंधित विकृति वाले बच्चों को भी इस योजना का लाभ मिल रहा है।