रायगढ़ : गर्भवती माताओं एवं 0 से 5 वर्ष के बच्चों को स्वास्थ्य और पोषण देने हेतु 7 अप्रैल से 8 मई 2015 तक जिले में शिशु संरक्षण माह के रूप में मनाया जा रहा हैं। जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों एवं शहरी क्षेत्रों में प्रति मंगलवार एवं शुक्रवार को जिले के सभी ग्रामों एवं शहरी क्षेत्रों में कार्ययोजना के अनुसार ‘‘ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस‘‘ का आयोजन किया जायेगा। उक्त दिवसों में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में प्रात: 9 बजे से शाम 4 बजे तक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा, आंगनबा$डी कार्यकर्ता एवं मितानिन के सहयोग से हितग्राही गर्भवती माताओं एवं बच्चों को सेवायें प्रदान की जायेगीं ।
कलेक्टर श्रीमती अलरमेल मंगई डी के निर्देशानुसार एवं डॉ. एच.एस.उरांव मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के मार्गदर्शन में 7 अप्रैल से 8 मई तक आयोजित ‘‘शिशु संरक्षण माह‘‘ के कुशल संचालन हेतु आज जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन, सभागृह कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, रायग$ढ में किया गया जिसमें सभी विकासखंडों से आये खंड चिकित्सा अधिकारी, प्रोग्राम अधिकारी उपस्थित हुए।
इस अवसर डॉ.बी.पी. पटेल जिला टीकाकरण अधिकारी ने बताया कि शिशु संरक्षण माह के सफल क्रियान्वयन हेतु स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबा$डी कार्यकर्ता व मितानिन के आपसी समन्वय द्वारा सभी हितग्राही बच्चों एवं गर्भवती माताओं की सूची तैयार कर, उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तरीय सूक्ष्म कार्ययोजना तैयार किये जा चुके है। आवश्यक वैक्सीन एवं अन्य सामग्रियों की आवश्यकता का आंकलन कर समस्त सामग्री सभी विकासखंडों को वितरित की जा चूकि है। 7 अप्रैल से 8 मई में सुक्ष्म कार्ययोजना के अनुसार रायग$ढ जिले के 0 से 5 वर्ष के सभी बच्चों को विटामिन ए, अन्य आवश्यक टीके, कृमिनाशक दवा, तथा आयरन फोलिक ऐसिड (छोटी) गोलियॉं तथा अन्य सेवायें जिले के ग्रामों में आयोजित ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस में संबंधित आंगनबा$डी केन्द्रों में दी जायेेगी। जिला स्तरीय उद्घाटन किरोड़ीमल नगर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में जनप्रतिनिधियों द्वारा किया जायेगा।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एच.एस.उराव ने बताया कि बाल उत्तरजिविका को बढाने के आवश्यक अनुकूलतम पैकेज के साथ एकीकृत किया गया कार्यक्रम है-‘‘शिशु संरक्षण माह‘‘। इस दौरान आयोजित सत्रों के द्वारा एक ही स्थान पर हितग्राहियों को विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं की प्रदायगी निश्चित रूप से जनसमुदाय के लिये उपयोगी है।
विटामिन ‘ए‘ की पूरक खूराक-9 माह से 5 वर्ष की उम्र के सभी बच्चों को विभिन्न रोगों से बचाव करने वाली ‘‘विटामिन ए‘‘ की खुराक दिया जाना है। जो बच्चे विटामिन ‘ए‘ की नियमित खुराक नही लेते उनमे विटामिन ‘ए‘ की कमी से रतौंधी, कुपोषण, दस्त, रक्त-अल्पता एवं बुखार होने की संभावना ज्यादा होती है, विटामिन ‘ए‘ के खुराक लेने से इन बीमारियों से रक्षा होती हैं
टीकाकरण – नये और आंशिक रूप से टीकाकरण से वंचित रह गये और बीच में अधूरे टीकाकृत हुए तथा छूट गए बच्चों को ध्यान में रखते हुए यथा योग्य हितग्राहियों को टीका लगाना। नियमित टीकाकरण से नौ बीमारियां जिनमें गलघोंटू, कुकर खॉसी, तपेदिक, धनुषटंकार, पोलियो, खसरा, पीलिया एवं हिब से सुरक्षा मिलती है।
लौह तत्व – 6 माह से 5 वर्ष के सभी बच्चों के लिये आवश्यकतानुसार आयरन फोलिक एसिड छोटी) की 50 गोलियॉं/सिरप 100 एम.एल. की बोतल देना तथा सभी गर्भवती माताओं की जॉच एवं आयरन फोलिक एसिड (बड़ी) की 30 गोलियॉ देना। लौह तत्व की कमी से खून की कमी होती है जिससे एनीमिया होता है।
एनीमिया के मुख्य लक्षण : नाखुन, होंठ, जीभ एवं ऑख का रंग फीेका पडऩा, जल्दी थकावट आना, नाखूनों का मु$ड जाना, आयु के हिसाब से कम वजन, चक्कर आना, काम करने की इच्छा ना होना, सांस फूलना आदि इसके मुख्य लक्षण है। अपने बच्चों एवं गर्भवती माताओं को आयरन की खूराक अवश्य दिलवायें।
कृमि का नाश (सफाया) – 1 से 5 वर्ष की उम्र के सभी बच्चों को कृमि नाश हेतु एलबेण्डाजोल की गोली देना। कृमि के संक्रमण के कारण विटामिन ‘ए‘ की कमी और कुपोषण बढ़ जाता है। एलबेन्डाजॉल की गोली सुरक्षित है, इसकी एक खुराक की ही आवश्यकता होती है।