[aph] रायगढ़ : [/aph] एसईसीएल ने भू अधिकग्रहण से प्रभावित नौ बेटियों को नौकरी देने से मना कर रहा है । तमनार ब्लॉक की इन बेटियों की जमीन एसईसीएल के लात कोल ब्लॉक के लिए अधिग्रहित की गई है। एसईसीएल द्वारा नौकरी देने से मना करने से इन बेटियों के परिसर के आगे भरण पोषण की समस्या खड़ी हो गई है।
जिले के नौ आदिवासी परिवार घर में बेटा नहीं होने का दंश झेल रही हैं। उनके जीवको पार्जन का एक मात्र आधार कृषि भूमि था जिसे एसईसीएल ने कोल ब्लॉक के लिए अधिग्रहित कर लिया। अब एसईसीएल यह कहकर उन्हें नौकरी पर रखने से इंकार कर रहा है कि वे पुरुष नहीं हैं । एसईसीएल प्रभावित परिवारों की महिलाओं को नौकरी में रखने का प्रावधान नहीं है। इनमें दो महिलाएं ऐसी हैं जिनकी जमीन को एसईसीएल द्वारा धोखे से हड़प लिए जाने का आरोप है। एसईसीएल द्वारा इन महिलाओं की जमीन को शासकीय बताकर मुआवजा देने से भी इंकार कर दिया है। एसईसीएल का कहना है कि भारतीय माईनिंग एक्ट 1982 के तहत खान के काम के लिए महिलाओं क ो नहीं रखा जा सकता है। जबकि ग्रामीणों का यह कहना है कि यदि महिलाओं को खान के अंदर काम पर नहीं रखा जा सकता तो कम से कम कार्यालियन कार्य के लिए उन्हें रखा जाना चाहिए।
[aph] दर-दर भटकने मजबुर [/aph] एसईसीएल लात के कोल ब्लाक की प्रभावित 9 महिलाएं जिसमें दो बेवा हैं तथा 7 अन्य ऐसी महिलाएं है जिन्हें आज तक नौकरी नहीं है। दो महिलाओं के समक्ष न तो सर छिपाने को जगह है और नही गुजर बसर के लिए कोई संसाधन बचा है। दर असल एसईसीएल नौकरी नहीं देने के गरज से तरह -तरह की बहाने बाजी कर रहा है। एसईसीएल का तर्क है कि कोल ब्लाक में महिलाओं को काम नहीं दिया जा सकता है। तो ऐसे में सवाल उठ रहा है कि एसईसीएल का जिले में इतना बड़ा कार्यालय है ऐसी प्रभावित महिलाओं के लिए क्या उनके कार्यालय में एक अदद चपरासी के लिए भी जगह नहीं है।
[aph] केस नंबर -1 [/aph] एसईसीएल की लात कोल ब्लाक में मांगमती पिता फिरनसाय कंवर जो अपने माता पिता की इकलौती संतान है जिसका कोल ब्लाक में 5 एकड़ 3 डिसमिल जमीन थी वह भी चली गई। अब एसईसीएल उन्हें अपने यहां काम देने से मना कर रहा है।
[aph] केस नंबर -2 [/aph] लीलावती सिंह पति हरिशंकर सिंह जिसे उसकी मां द्वारा उसे बुढ़ापे में देखरेख करने के एवज में लगभग 3 एकड़ कृषि भूमि दिया था। लेकिन उसे भी एसईसीएल द्वारा नौकरी देने से इसलिए मना कर दिया कि वह महिला है। शिकायत करने पर एसईसीएल द्वारा लीलावती के पति हरिशंकर जो सुरक्षा गार्ड तौर पर बतौर एजेंसी के माध्यम से नौकरी करता था उस पर चोरी का इल्जाम लगाकर बाहर का रास्ता दिखा दिया। वहीं लीलावती के पूत्र को नौकरी दिया तो जरूर लेकिन बेटी का बेटा है कहकर कुछ ही दिनों बाद नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
[aph] केस नंबर-3 [/aph] सियारीबाई पति स्व. जीवनलाल राठिया का पांच एक़ ड जमीन एसईसील के कोल ब्लाक में चला गया। आरंभ में जीवनलाल को नौकरी मिली लेकिन एक माह में काम के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। सियारीबाई अनुकंपा नियुक्ति के लिए दर-दर भटकने को मजबुर है लेकिन आज पर्यन्त तक महिला होने का हवाला देकर नौकरी नहीं दिया गया।
[aph] केस नंबर-4 [/aph] कौशल्या चौहान जिसके नाम पर लगभग 8 एक़ ड कृषि भूमि थी लेकिन आज यह दर-दर भटकने को मजबुर है। उसे न तो मुआवजा मिला और न ही नौकरी न पुनर्वास का लाभ। पति की मौत के बाद ससुर के हिस्से से मिली जमीन को एसईसीएल द्वारा गुपचुप तरीके से ह़ डप लिया।
[aph] केस नंबर-5 [/aph] रथकुंवर बेवा भरतलाल राठिया कई बार एसईसीएल के समक्ष नौकरी की गुहार लगा चुकी है लेकिन हर बार इन्हें दुत्कार के सिवाय कुछ नहीं मिला। इसी तरह से रत्थोबाई जो तीन बहने हैं जिनकी कोई भाई नहीं है। एसईसीएल द्वारा नौकरी तो दूर बात करने से मना कर दे रहे हैं।
[aph] केस नंबर-6 [/aph] यशोदाबाई चौहान का 8 एक़ ड कृषि भूमि कोल ब्लाक में गया है लेकिन आज तक इन्हें नौकरी नहीं मिली। एसईसीएल द्वारा इसकी 6 एक़ ड जमीन को शासकीय बताकर हड़प लिया गया जिसका कहीं भी सुनवाई नहीं हो सकी। इसकी जमीन को सरकारी बताकर न तो मुआवजा दिया गया और न ही नौकरी दी गई। इसे लेकर हाई कोर्ट में मामला दायर किया लेकिन इसी दौरान पुनाईबाई का निधन हो गया इस मामले में अभी कोई फैसला नहीं आया है।