डभराः- विकास खण्ड मुख्यालय डभरा में आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा भारी भरकम राशि खर्च कर बनाये गये कन्या छात्रवास भवन के घटिया निर्माण के संबंध में अनेकों बार खबर प्रकाशित होने के बाद भी प्रशासन की चुप्पी समझ से परे है, उक्त भवन मे न तो बाउड्री है न ही सही फर्स निर्माण है, भवन का दिवाल जगह जगह फट रहा है और न ही भवन के लिये रास्ता है।
विदित हो कि विकास खण्ड मुख्यालय डभरा के आवास प्लाट में 84 लाख रूपये का आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा प्री-मैट्रिक कन्या छात्रवास भवन का निर्माण कराया गया है, जिसे जून 2015 में विभाग के द्वारा हेण्ड ओवर लिया गया है, उक्त छात्रावास भवन के निर्माण में हद से ज्यादा लापरवाही बरती गई है। भवन का फर्स कई जगहों पर उखड़ रहा है, दीवाल अनेकों जगह पर फट रहा है न ही ठीक ठंग से नल फिटिंग, बिजली फिटिंग आदि किया गया है। भवन के सभी भागों का निर्माण स्तरहीन है।
बांउड्रीवालविहीन, बालिकाओं को अन्यत्र शिफ्ंिटगः- रहने को तो उक्त छात्रावास निर्माण प्री-मैट्रिक बालिकाओं के लिये किया गया है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण बांउण्ड्रीवाल का निर्माण नहीं किया गया है, जिससे उनकी सुरक्षा के मद्देनजर बालिकाओं को पास ही लगे हुए पुराने कन्या छात्रावास भवन में शिंफ्ट किया गया है। वही छात्रावास भवन जाने के लिये मुख्य सड़क से रास्ता ही नहीं निकाला गया है, बरसात में किचड़ से बचने विद्यार्थी उछल-कुदकर भवन जाते हैं।
शौचालय निर्माण में भारी खामी:- विदित हो कि उक्त छात्रावास भवन में जितने भी शौचालय और बाथरूम बनाया गया है, वह ऊपर से खुला हुआ है शौचालय के दीवार को छत तक न बनाकर आधे दूरी के ऊंचाई तक ही निर्माण किया गया है, जो कि अनुचित है।
बालिका के जगह बालक अंकित:- विदित हो कि उक्त छात्रावास भवन कन्या वर्ग के लिये निर्माण किया गया है, किन्तु भवन के सामने भाग में स्पष्ट रूप से प्री-मैट्रिक बालक छात्रावास लिखा गया है, जबकि प्री-मैट्रिक बालिका छात्रावास लिखा जाना चाहिए।
बहरहाल स्तरहीन छात्रावास भवन निर्माण को आखिर प्रभार क्यों लिया गया ?
इस संबंध में विकास खण्ड डभरा के आदिम जाति कल्याण विभाग के मण्डल संयोजक गुलाब सिंह सिदार से पुछने पर बताया कि प्रभार लेने के समय हमारे द्वारा भवन के घटिया निर्माण के संबंध में विभाग को कहा गया किन्तु विभाग के जिला स्तर के अधिकारीयों के द्वारा दबाव पूर्ण प्रभार लेने के लिये कहा गया, तब उक्त भवन को प्रभार में लिया गया। सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि उपरोक्त सभी बातों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन क्या कार्यवाही करती है या फिर जांच किया जायेगा वाले हमेशा कि तरह डायलाॅग बोला जा कर बंद बस्ते में कार्यवाही को डाल दिया जावेगा।